सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकारी मकान में कोई हमेशा के लिए नहीं रह सकता. बिहार के पूर्व विधायक अवनीश कुमार सिंह की याचिका सुनने से मना करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की है. कोर्ट के रुख को देखते हुए पूर्व विधायक ने याचिका वापस ले ली.
पूर्वी चंपारण के ढाका विधानसभा क्षेत्र से कई बार विधायक रह चुके अवनीश ने 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उन्होंने पटना के 3 टेलर रोड के सरकारी मकान को नहीं छोड़ा. वह 2 साल से ज्यादा समय तक उसी घर में बने रहे. बिहार सरकार ने 14 अप्रैल 2014 से 12 मई 2016 के बीच का किराया चुकाने को कहा.
सरकार के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती
सरकार के आदेश को अवनीश ने यह कहकर हाई कोर्ट में चुनौती दी कि वह राज्य विधानमंडल अनुसंधान परिषद के नामित सदस्य थे. इस नाते वह सरकारी मकान के हकदार थे, लेकिन हाई कोर्ट ने इस दावे को गलत ठहराया. हाई कोर्ट ने कहा कि विधानसभा से इस्तीफा देते ही उन्हें सरकारी घर छोड़ देना चाहिए था. विधानमंडल परिषद की नामित सदस्यता उन्हें मंत्री पद के मकान पर बने रहने का अधिकार नहीं देती.
इतने लाख रुपए लगेगा किराया
इस साल मई में हाई कोर्ट ने अवनीश कुमार सिंह को बीस लाख अट्ठानबे हजार सात सौ सत्तावन (20,98,757) रुपए किराया चुकाने को कहा. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पूर्व विधायक को यहां भी राहत नहीं मिली. चीफ जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एन वी अंजारिया की बेंच ने मामले में दखल देने से मना कर दिया.