अवैध धर्मांतरण केस में प्रयागराज के सैम हिग्गिनबॉटम कृषि विश्वविद्यालय (SHUATS) के कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल, उनके भाई विनोद लाल और दूसरे आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश के अवैध धर्म परिवर्तन विरोधी कानून के तहत दर्ज 5 एफआईआर रद्द कर दी है. यह एफआईआर लोगों को गलत तरीकों से ईसाई बनाने के आरोप में दर्ज की गई थीं.
इलाहाबाद हाई कोर्ट से राहत पाने में असफल रहने के बाद SHUATS के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. जस्टिस जे बी पारडीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने 5 एफआईआर में कानूनी कमियों के आधार पर उन्हें रद्द कर दिया. यह सभी मामले 2022-23 में दर्ज हुए थे.
एक एफआईआर के मामले में कोर्ट ने पाया है कि उसे पीड़ित की जगह किसी और व्यक्ति ने दाखिल किया. जब एफआईआर दर्ज हुई, तब Uttar Pradesh Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Act, 2021 की धारा 4 में इस बात का प्रावधान नहीं था कि धर्म परिवर्तन के शिकार व्यक्ति के अलावा कोई अन्य शिकायत करे. इसी तरह एक मामले में कोर्ट ने कहा है कि फतेहपुर के जिस चर्च में अवैध धर्मांतरण का आरोप लगाया गया है, वह SHUATS यूनिवर्सिटी के नियंत्रण में नहीं आता था.
ध्यान रहे कि राजेंद्र बिहारी लाल और विनोद लाल पर विदेश से अवैध चंदा लेकर भारत में धर्म परिवर्तन का रैकेट चलाने, गरीब और कम आय वाले लोगों को लालच देकर या डरा कर उनका धर्म परिवर्तन करने, मारपीट, गैर इरादतन हत्या, गैंगरेप समेत कई आरोप हैं. कोर्ट ने अवैध धर्मांतरण से जुड़े 5 मामलों में उन्हें राहत दी है. लेकिन आईपीसी की धारा 304, 306 और 504 के तहत दर्ज एक केस को जारी रखने के लिए कहा है. कोर्ट ने साफ किया है कि फिलहाल इस मामले में भी उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी.