नई दिल्ली: भारत में पहली बार सोमवार को बिना इंजन वाली ट्रेन 'टी 18' का सफल परीक्षण हुआ. इसके साथ ही यह ट्रेन अपनी रफ्तार 160 किमी प्रति घंटा के साथ खरी उतरी है. 16 कोचों वाली यह ट्रेन शताब्दी की तुलना में सफर के समय को 15 प्रतिशत तक घटा सकती है. ट्रेन-18 मेक इन इंडिया के तहत चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) में बनी है.

वहीं रेल मंत्रालय के मुताबिक, 'टी 18' मौजूदा शताब्दी एक्सप्रेस के बेड़े के ट्रेनों की जगह लेगी. उन्होंने कहा कि आईसीएफ इस तरह के छह ट्रेनों का सेट तैयार करेगी. ट्रेन को महज 18 महीनों में तैयार किया गया है.

मंत्रालय की मानें तो यह सेमी हाईस्पीड ट्रेन है और इसका नाम 'टी 18' रखा गया है. यह ट्रेन मेक इन इंडिया के तहत चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) ने बनाया है. इसकी नाम के पीछे एक खास बात जुड़ी है. बात यह है कि साल 2018 में ट्रेन बनने की वजह से इसका नाम टी-18 दिया गया है.

ट्रेन में है ये सुविधाएं - ट्रेन 18 इंटर-कनेक्टेड, ऑटोमेटिक दरवाजा, वाई-फाई और इंफोटेमेंट, जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली, घूमने वाली सीटें, जैव-वैक्यूम प्रणाली और माड्यूलर शौचालय से लैस है.

- ट्रेन का वजन काफी कम होगा, कोच की पूरी बॉडी एल्यूमिनियम की बनाई गई है.

- स्लाइडिंग सीढ़िया बनाई गई है. ट्रेन में सेफ्टी का खास ख्याल रखा गया है. दिव्यांगों के लिए अलग से व्यवस्था की गई है. प्रत्येक कोच में 44 से 78 व्यक्ति सफर कर सकते हैं.

25 अक्टूबर को रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान को आगे बढ़ाते हुए भारतीय रेल ने विश्वस्तरीय टी-18 ट्रेन का निर्माण किया है. उन्होंने आगे ये भी बताया कि यह ट्रेन आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण है और यात्रियों को एक विश्वस्तरीय सफर देने के लिए तैयार है.

आईसीएफ के मैनेजर सुधांशु मनी के मुताबिक, "प्रोटोटाइप (मूलरूप) बनाने में 100 करोड़ रुपए का खर्च आया है लेकिन बाद में ये कीमत घट जाएगी."