नई दिल्लीः नागालैंड विधानसभा में सातवां सत्र शुरू होने से पहले एक ऐतिहासिक घटना घटित हुई है. दरअसल यहां राज्य गठन के 58 साल बाद पहली बार विधानसभा में सत्र की शुरुआत से पहले राष्ट्रगान का उद्घोष किया गया है. बताया जा रहा है कि नागालैंड में 12 फरवरी को 13वीं विधानसभा के सातवें सत्र की शुरुआत राष्ट्रगान के साथ हुई है.


विधानसभा स्पीकर ने की पहल


नागालैंड के स्पीकर शेरिंगैन लोंग्कुमेर का कहना है कि 'विधानसभा में राष्ट्रगान बजाने का फैसला उनका था. वहीं इस संबंध में मुख्यमंत्री नीफियू रियो की अध्यक्षता वाली सरकार से सहमति मांगी गई थी.' उनका कहना है कि 'इस बार हम विधानसभा में राज्यपाल का स्वागत करने के लिए एक नया समारोह शुरू करना चाहते थे. चूंकि वह संवैधानिक प्रमुख हैं, इसलिए हमेशा उनके स्वागत राष्ट्रगान के साथ शुरू होता है.'


नई प्रथा कि शुरुआत करना चाहते हैं स्पीकर


शेरिंगैन लोंग्कुमेर का कहना है कि वह एक नई प्रथा कि शुरुआत करना चाहते हैं, जिसमें जब भी राज्यपाल अपना अभिभाषण दें तो इसे नागालैंड विधान सभा में अपनाई जाने वाली परंपरा बनाया जा सके. लोंग्कुमेर के अनुसार 'जब से मैं 13 वें सदन का हिस्सा बना, मैंने इस कमी को देखा, और जब मैं अध्यक्ष बना, तो मैंने सीएम के नेतृत्व वाली सरकार के परामर्श से निर्णय लिया.'


58 साल में पहली बार बजा राष्ट्रगान


बता दें कि नागालैंड के स्पीकर शेरिंगैन लोंग्कुमेर 2019 में आंग्लेंडेन से हुए उप-चुनाव में विधानसभा के लिए चुने गए थे. वह नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के सदस्य के रूप में चुने गए थे. वहीं नागालैंड राज्य का गठन 1 दिसंबर, 1963 को हुआ था. जिसके बाद जनवरी 1964 में पहली बार विधानसभा चुनाव कराए गए. इसके बाद 11 फरवरी को पहली विधानसभा का गठन किया था. विधानसभा और राज्य गठन के इतने सालों बाद भी नागालैंड में राष्ट्रगान की गूंज नहीं सुनाई दी थी. जिसे लेकर विधानसभा आयुक्त डॉ. पीजे एंटनी ने कहा है कि विधानसभा में राष्ट्रगान पर किसी तरह की कोई रोक नहीं थी.


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