नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच बन गई है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 10 जनवरी से सुनवाई शुरू होगी. इस मामले की सुनवाई संवैधानिक पीठ में होगी. इस बेंच की अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई करेंगे. गोगोई के अलावा बेंच में जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ शामिल हैं.

माना जा रहा है कि 10 जनवरी को जो बेंच बैठेगी, वही आगे नियमित रूप से मामले को सुनेगी. आइए हम उन संभावित परिस्थितियों को देख लेते हैं, जो 10 जनवरी को बन सकती हैं.

टल भी सकती है सुनवाई पहली स्थिति ये है कि जो बेंच 10 जनवरी को बैठेगी, उसमें से अगर कोई जज व्यक्तिगत कारण से खुद को सुनवाई से अलग करता है, तो सुनवाई टल जाएगी. दोबारा नई बेंच का गठन करना पड़ेगा. हालांकि, ऐसा होने की उम्मीद बहुत कम है.

सुनवाई शुरू होने की तारीख मिल सकती है इस बात की पूरी उम्मीद है कि मामले से जुड़े पक्ष खासतौर पर हिंदू पक्ष और यूपी सरकार मामले की सुनवाई जल्द शुरू करने की मांग करेंगे. ये पक्ष केस नियमित रूप से सुनकर एक तय समय सीमा में निपटाने की मांग भी रखेंगे. बेंच के जज इस पर आपस में विचार-विमर्श कर, समय की उपलब्धता के हिसाब से एक तारीख दे सकते हैं. हो सकता है ये तारीख बिल्कुल पास की हो. ये भी हो सकता है कि तारीख कुछ महीने बाद की हो. इस पर अभी कोई टिप्पणी कर पाना मुश्किल है.

टालने की मांग पर भी रखनी होगी नज़र पहले कुछ वकील कोर्ट से मामला टालने की मांग करते रहे हैं. 2010 में मामला दाखिल होने के बाद से दस्तावेजों का अनुवाद न हो पाने की बात कही जाती रही. 2017 में मुस्लिम पक्ष के एक वकील कपिल सिब्बल ने 2019 लोकसभा चुनाव के बाद सुनवाई की मांग की थी. इसका दूसरे वकीलों राजीव धवन और दुष्यंत दवे ने भी समर्थन किया था. बाद में राजीव धवन ने इस्लाम में मस्ज़िद की अनिवार्यता का सवाल उठा दिया. इससे भी मामला कुछ महीनों के लिए टल गया. वैसे तो अब निर्णायक सुनवाई शुरू होने में कोई अड़चन नज़र नहीं आती. फिर भी ये देखना होगा कि क्या सभी पक्ष जल्द सुनवाई का समर्थन करते हैं. अगर कोई पक्ष विरोध करता है, तो कोर्ट उस पर क्या कहता है.

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