Farmers Protest: किसानों का 'दिल्ली चलो' मार्च मंगलवार (13 फरवरी) को हिंसक हो गया. पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक झड़प हुई. इस घटना में 60 से ज्यादा लोग घायल हुए. किसानों ने बुधवार (14 फरवरी) को एक बार फिर से प्रदर्शन की शुरुआत कर दी है. ऐसे में इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि कहीं न कहीं पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच फिर से झड़प देखने को मिल सकती है. 

हालांकि, किसानों के दिल्ली पहुंचने से पहले दिल्ली पुलिस भी इस बार पूरी तरह से तैयार नजर आ रही है. ड्रोन से सीमाओं की निगरानी हो रही है. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बताया है कि अगर प्रदर्शनकारी किसान राजधानी में दाखिल होने के दौरान आक्रामकता दिखाते हैं तो क्या करना है. दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सुरक्षाकर्मियों को निर्देश दिया कि अगर आंदोलनकारी किसान आक्रामकता दिखाते हैं, तो उन्हें रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं है. 

दिल्ली पुलिस अधिकारी ने क्या आदेश दिए?

दरअसल, विशेष पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) रवींद्र यादव ने मंगलवार (14 फरवरी) को सिंघु बॉर्डर का दौरा किया. उन्होंने बताया कि यहां पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर दिया गया है. इस दौरान उन्होंने वहां तैनात पुलिस कर्मियों और अर्द्धसैनिक बल के जवानों से कहा कि अगर किसान दिल्ली में प्रवेश करने में कामयाब होते हैं तो हमारा पूरा अभियान विफल हो जाएगा. उन्होंने सुरक्षा बलों से कहा कि उन्हें तार्किक रूप से और अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कार्य करने की जरूरत है.

रवींद्र यादव ने माइक्रोफोन और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हुए कर्मियों से कहा, ‘अगर वे आक्रामक तरीके से पेश आते हैं, तो हमें और अधिक आक्रामकता दिखानी होगी. तभी हम उन्हें रोक सकते हैं. अगर वे आक्रामक होते हैं, तो हमें रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘हमें आंसू गैस के गोले दागने होंगे, लाठियां चलानी होंगी और खुद को बचाना होगा. यह प्रक्रिया एक दिन तक चल सकती है.’ यादव ने कहा कि पुलिस का मुख्य उद्देश्य किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकना है और उन्हें कानून-व्यवस्था बिगाड़ने या हिंसा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

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