Farmers protest: केन्द्र सरकार की तरफ से एक दिन पहले भेजे गए किसान नेताओं को प्रस्ताव के एक दिन बाद बुधवार को फिर से नया मसौदा भेजा गया है. सूत्रों के मुताबिक, इस नए प्रस्ताव में केस वापसी पर सरकार ने लचीला रुख अपनाया है. लेकिन, किसानों की तरफ से इस पर भी सहमति नहीं बन पाई है. इससे पहले, सुबह संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय कमेटी ने इमरजेंसी बैठक बुलाई थी. 

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किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ुनी बोले- पहले केस वापसी का ऐलान करे सरकार

इधर, किसा नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि जब तक सरकारें उनकी सभी मांगें नहीं मान लेती है तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, चढूनी ने कहा कि हमारे लिए यह मुश्किल हो जाएगा अगर वे केस वापस नहीं लेते हैं और हम अपना आंदोलन खत्म कर देते हैं. सरकार को केस वापसी की टाइमलाइन का ऐलान करना चाहिए.

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इधर, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की पांच सदस्यीय समिति बुधवार को केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह और नरेंद्र सिंह तोमर से अलग-अलग मुलाकात कर कृषि संबंधी अपने लंबित मुद्दों पर चर्चा कर सकती है.  समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एक किसान नेता ने यह जानकारी दी.

दोनों मंत्रियों के साथ संभावित चर्चा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे एसकेएम की दोपहर दो बजे से निर्धारित बैठक से कुछ घंटे पहले होगी. प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों के शीर्ष संगठन एसकेएम के सदस्यों ने आंदोलन के भविष्य का फैसला करने के लिए बुधवार को सिंघू बॉर्डर पर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है. पहचान जाहिर नहीं करने का अनुरोध करते हुए एक वरिष्ठ किसान नेता ने ‘पीटीआई’ को बताया, ‘‘एसकेएम की पांच सदस्यीय समिति की आज सुबह एक आंतरिक बैठक होगी और फिर वे किसानों के मुद्दों और लंबित मांगों पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलने वाले हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘समिति के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिलने की संभावना है। इसके बाद, एसकेएम की दोपहर दो बजे की बैठक के बाद फैसला होने की संभावना है.’’ किसान नेता ने कहा कि किसानों की मांगों पर विचार करने में सरकार का रवैया हाल में ‘‘सकारात्मक’’ रहा है और उन्होंने किसान आंदोलन के भविष्य के संबंध में सकारात्मक निर्णय की ओर इशारा किया. संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को कहा कि उसने आंदोलन को समाप्त करने का अनुरोध करने वाले सरकार के प्रस्ताव का जवाब दिया है, जिसमें कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया है. इसमें किसानों पर दर्ज ‘‘फर्जी’’ मामले वापस लेने के लिये पूर्व शर्त पर भी स्पष्टीकरण मांगा है.

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