दिल्ली में फेक कॉल सेंटर का पर्दाफाश, इस तरह से लगाते थे विदेशी नागरिकों को चूना
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल की टीम ने फेक कॉल सेंटर चला रहे 37 लोगों को गिरफ्तार किया है. इन्होंने विदेशी नागरिकों को अब तक करीब 10 करोड़ का चूना लगा चुके थे.

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की साइबर सेल की टीम ने तीन फेक कॉल सेंटर का पर्दाफाश करते हुए 37 लोगों को गिरफ्तार किया है. साइबर सेल की मानें तो ठगी के लिए इनका टारगेट विदेशी नागरिक होते थे. यह लोग विदेशी नागरिकों को फोन करके उनके साथ ठगी करते थे. ठगी करने के लिए यह लोग विदेशी नागरिकों के सोशल सिक्योरिटी नंबर का इस्तेमाल करते थे और खुद को ड्रग एनफोर्समेंट एजेंसी का अधिकारी बताते थे.
दरअसल, साइबर सेल की टीम को जानकारी मिली थी कि दिल्ली के कुछ इलाकों में फेक कॉल सेंटर चलाए जा रहे हैं जो कि विदेशी नागरिकों के साथ ठगी कर रहे हैं. इससे पहले भी साइबर सेल की टीम ऐसे ही कई कॉल सेंटर का पर्दाफाश कर चुकी है. मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने बिंदापुर और जनकपुरी इलाके में छापेमारी की. बिंदापुर में एक और जनकपुरी में 2 फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश हुआ. इन तीनो कॉल सेंटर से पुलिस ने 37 लोगों को गिरफ्तार किया. इसमें कॉल सेंटर के मैनेजर और सुपरवाइजर भी शामिल है. पुलिस ने तीनों कॉल सेंटर से कुल 56 डेस्कटॉप कंप्यूटर और 41 मोबाइल फ़ोन भी जब्त किए हैं. पुलिस के मुताबिक, गैंग अब तक विदेशी नागरिकों को 10 करोड़ का चूना लगा चुका है.
साइबर सेल के डीसीपी अनयेश रॉय ने बताया कि इन फर्जी कॉल सेंटर के कर्मचारियों को विदेशी नागरिकों के सोशल सिक्युरिटी नंबर का डेटा और फ़ोन नंबर दिए जाते थे. इसके बाद यहां काम करने वाले कर्मचारी विदेशों में बैठे लोगों को वॉइस मेल के जरिए प्री रिकॉर्डिड मेसेज भेजते थे. जब कोई विदेशी नागरिक उसपर रिस्पांड करता था तो कॉल भारत में आती थी. उनको बताया जाता था कि सोशल सिक्योरिटी नंबर के एडमिन की तरफ से बात की जा रही है और आपका जो नम्बर है वो क्राइम सीन पर पाया गया है. उससे जो भी बैंक अकाउंट लिंक है वो सीज हो जाएगा. गिरफ्तारी की धमकी दी जाती थी.
डीसीपी साइबर सेल अनयेश रॉय के मुताबिक कॉल सेंटर में काम करने वाले लोगों को बाकायदा एक स्क्रिप्ट दी जाती थी उसी स्क्रिप्ट के आधार पर ये लोग US में कॉल करते थे. दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के मुताबिक ये लोग खुद को जांच एजेंसियों के अधिकारी बताते थे और किसी भी लीगल केस में फंसाने की धमकी देते थे पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वो अलग अलग तरीकों से कॉल करते थे. फ़ोन करके विदेशियों से कहते थे कि उनके अकाउंट का ड्रग माफियाओं से कनेक्शन मिला है. जिसके कारण उन पर केस चलेगा और बैंक अकाउंट फ्रीज हो जाएगा. इस दौरान उनके बैंक की डिटेल ले लेते थे. इसके बाद उनका बैंक अकाउंट खाली कर दिया जाता था।
पुलिस के मुताबिक फेक कॉल सेंटर में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को ये बात अच्छे से पता थी कि वो लोग विदेशी लोगों को चुना लगा रहे है..लेकिन ज्यादा पैसों के लालच में वो लोग ये काम कर रहे थे. आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि इस फर्जी कॉल सेंटर में काम करने वाले लोगों की सैलरी अलग अलग थी. धोखाधड़ी के पहले लेवल पर काम करने वाले को 25 से 30 हज़ार दिए जाते थे. दूसरे लेवल के लिए 60 से 70 हज़ार और शिफ्ट मैनेजर को 1 लाख रुपये दिए जाते थे. इतना ही नहीं इन्हें इंसेंटिव भी दिया जाता था. साइबर सेल के मुताबिक सबसे इस गैंग ने सबसे ज्यादा US के लोगों को शिकार बनाया है.
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Source: IOCL






















