जेल में बंद जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) चीफ यासीन मलिक की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. 1990 में एयरफोर्स के चार जवानों की हत्या के मामले में चश्मदीद रिटायर अफसर ने यासीन मलिक की पहचान मुख्य शूटर के तौर पर की है. चश्मदीद रिटायर अफसर ने बताया कि 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में क्या हुआ था. इस हमले में IAF के चार जवानों की मौत हो गई थी. इस हमले में वायु सेना के रिटायर अफसर राजवार उमेश्वर सिंह बच गए थे. उन्होंने कोर्ट में गवाही देते हुए कहा कि यासीन मलिक ने अपना 'फेरन' (कश्मीर की पारंपरिक पोशाक) उठाकर हथियार निकाला और भारतीय वायुसेना के जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी. 


रिटायर अफसर राजवार उमेश्वर सिंह ने कोर्ट को बताया कि यासीन मलिक ही 1990 के इस हमले का मुख्य हमलावर था. मलिक 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. वह जम्मू की TADA कोर्ट में सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुआ. 


क्या हुआ था 25 जनवरी 1990 को?


25 जनवरी 1990 को भारतीय वायुसेना के जवान ड्यूटी के लिए पुराने श्रीनगर हवाई क्षेत्र में अपने वाहन का इंतजार कर रहे थे, तभी आतंकियों ने उन पर हमला कर दिया था. इस हमले में चार जवान शहीद हुए थे, जबकि 40 लोग घायल हुए थे. 31 अगस्त, 1990 को मलिक और 5 अन्य के खिलाफ जम्मू की टाडा अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई थी. 


मलिक के अलावा इस हमले में जेकेएलएफ से जुड़े अली मोहम्मद मीर, मंजूर अहमद सोफी उर्फ मुस्तफा, जावेद अहमद मीर उर्फ ‘नलका’, शौकत अहमद बख्शी, जावेद अहमद जरगर और नानाजी भी शामिल थे. सभी को केस में आरोपी बनाया गया है. 


सीबीआई की ओर से पेश मोनिका कोहली ने कहा, यह मामले में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है. अभियोजन पक्ष के गवाह ने गोलीबारी के लिए मलिक की पहचान की है. कोहली मलिक के खिलाफ दो प्रमुख मामलों में मुख्य अभियोजक हैं. एक मामला 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण का है जबकि दूसरा भारतीय वायुसेना के जवानों की हत्या का है. मलिक को चश्मदीद गवाह से जिरह करने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उसने इनकार कर दिया और वह कोर्ट में प्रत्यक्ष रूप से पेश किए जाने के लिए जोर दे रहा है.


कौन है यासीन मलिक?


3 अप्रैल 1966 को श्रीनगर के मयसूमा इलाके में जन्मा यासीन मलिक 17 साल की उम्र में पहली बार जेल गया. यासीन मलिक पर जम्मू कश्मीर में आतंक को बढ़ावा देने और आतंकियों गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है. यासीन कश्मीर की आजादी की वकालत करता रहा है. यासीन मलिक ने 80 के दशक में'ताला पार्टी' का गठन किया. इस संगठन पर भी हिंसा और माहौल बिगाड़ने का आरोप लगता रहा है. 
 
11 फरवरी 1984 को आतंकी मकबूल भट को जब फांसी दी गई, तो यासीन मलिक ने इसका खूब विरोध किया. उसे इसके बाद गिरफ्तार किया गया. जेल से रिहाई के बाद 1986 में यासीन मलिक ने ताला पार्टी का नाम बदलकर इस्लामिक स्टूडेंट लीग (ISL) रख दिया. यासीन मलिक इसका महासचिव बना.


यासीन मलिक 1988 में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी JKLF से जुड़ा. 1987 के चुनाव के बाद कुछ समय के लिए यासीन मलिक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चला गया. वहां उसने ट्रेनिंग ली. 1989 में वह वापस जम्मू कश्मीर आ गया. 
 
जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट पर 2019 में केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था. यासीन मलिक पर 1990 में एयरफोर्स के 4 जवानों की हत्या का आरोप है.यासीन मलिक पर तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण और आतंकी हमले में शामिल होने का आरोप है.