नई दिल्ली: चुनावी रणनीतिकार और जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए)-राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. प्रशांत किशोर विपक्षी दलों से इन दोनों ही मुद्दों पर एकजुट होने की अपील भी कर रहे हैं और नेताओं को जमीन पर उतरने की सलाह दे रहे हैं. उन्होंने सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की और कई सवालों के जवाब दिए.
प्रशांत किशोर ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पूरी तरह भेदभाव से भरा है. उन्होंने सीएए-एनआरसी का विरोध करते हुए कहा, ''एक नागरिक के तौर पर अगर मुझसे बात करेंगे तो मैं सीएए और एनआरसी के विरोध में खड़ा हूं. दोनों देश के हित में नहीं है. जेडीयू सीएए और एनआरसी के खिलाफ रही है. पार्टी में दुविधा इसलिए बनी क्योंकि पार्टी ने संसद में सीएए का समर्थन किया. किन परिस्थितियों में नीतीश कुमार ने बिल को समर्थन दिया. नीतीश कुमार बेहतर तरीके से समझाएंगे.''
प्रशांत किशोर ने कहा, ''मैंने जब नीतीश कुमार से मुलाकात की तो मैंने पूछा कि कैसे रुख बदला? मैंने यह भी पूछा कि क्या एनआरसी पर भी पार्टी का रुख बदलेगा? क्योंकि सीएए और एनआरसी को अलग-अलग करके देखना बेमानी होगी. नीतीश कुमार देशव्यापी एनआरसी के खिलाफ हैं. बिहार में किसी हालत पर एनआरसी लागू नहीं होगा. नीतीश कुमार के बिहार में रहते हुए धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होगा.''
प्रशांत किशोर ने कहा, ''इसका विरोध क्यों हो रहा है? प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कई योजनाएं गिनाई. उन्होंने उज्जवला योजना की बात की उसमें किसी से भेदभाव नहीं किया गया. तो देख सकते हैं कि इस योजना के खिलाफ कोई आंदोलन भी नहीं हो रहे हैं. आखिर देश सीएए और एनआरसी को लेकर क्यों आंदोलित है? पिछले छह महीने में बीजेपी अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह ने कई प्लेटफॉर्म पर बताया है कि सीएए और एनआरसी को कैसे साझा तौर पर लागू किया जाएगा.''
उन्होंने कहा, ''सीएए भेदभाव पूर्ण है. क्योंकि संविधान में जो परिकल्पना है उसमें कहीं भी नागरिकता धर्म के आधार पर दी जाए इसका जिक्र नहीं है.'' प्रशांत किशोर ने कहा कि भारत से बाहर के लोगों में जिन्हें भी नागरिकता दे रहे हैं, दीजिए. लेकिन भारत में जो लोग रह रहे हैं उसमें से एक समुदाय को आप नहीं कह सकते हैं कि इनको हम नागरिकता नहीं देंगे क्योंकि एक खास धर्म से ताल्लुक रखते हैं.''
प्रशांत किशोर ने कहा, ''हमलोगों को कहा जा रहा है कि हमलोग सीएए-एनआरसी पर भ्रम फैला रहे हैं. तो क्या वाजपेयी जी एंटी हिंदू थे? पांच साल बीजेपी की सरकार रही. अगर इतनी ही चिंता थी तो वाजपेयी जी यह बिल क्यों नहीं लाए? आप (सरकार) ये कह दीजिए कि देशभर में एनआरसी नहीं होगा. कोई हंगामा नहीं होगा.''
उन्होंने कहा, ''सीएए एक एक्ट है जो सरकार को यह अधिकार देता है कि तीन देशों से आए छह धर्मों के लोगों को नागरिकता दे सकते हैं. यह ऑपरेशनल कैसे होगा? जब एनआरसी आएगा और इसकी लिस्ट तैयार की जाएगी तो एक सेक्शन को आप नागरिकता दे देंगे और जो लोग लिस्ट में नहीं आएंगे उसे आप कहेंगे कि ये मुसलमान हैं, मधेश हैं, तमिल हैं.''
उन्होंने कहा कि हिंसा सिर्फ लोगों की तरफ से नहीं हो रही है. हिंसा का पूरी तरह विरोध होना चाहिए. पुलिस भी लोगों को मार रही है. पुलिस अगर हिंसा करती है तो ये जायज है? जो आदमी सरकार के मत से सहमत नहीं है वे अपनी बात कह रहे हैं. स्टेट (योगी आदित्यनाथ) की ओर से जब कहा जाता है कि इसका बदला लिया जाएगा तो आप हिंसक बयान मानते हैं या नहीं मानते हैं? किसी भी मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) द्वारा बाहरी संस्था का जिक्र करना गलत बात है.
प्रशांत किशोर ने कहा, ''हमने राजनीतिक दलों से कहा है कि अगर आपने सीएए का समर्थन भी किया है तो एनआरसी का समर्थन न करें. बीजेपी ने तो चुनाव से पहले अपने घोषणापत्र में वादा किया था लेकिन 61 प्रतिशत लोगों ने उनके खिलाफ वोट किया है. 39 प्रतिशत वोट लाने वाले कह रहे हैं कानून लाएंगे. लेकिन 61 प्रतिशत लोगों ने तो उनके खिलाफ वोट किया था.''
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