नई दिल्ली: 10 जून को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब भोपाल के दशहरा मैदान में उपवास पर बैठे तो उन्होंने एलान किया था कि वो शांति के लिए उपवास कर रहे हैं. उनका मन दुखी है इसलिए उपवास कर रहे हैं. माहौल ऐसा बना था कि लगने लगा कि ये उपवास लंबा चलेगा लेकिन महज एक दिन पूरा होते होते शिवराज सिंह चौहान का उपवास टूट गया. मंच से खुद शिवराज सिंह ने एलान किया कि वो अपना उपवास मारे गए किसानों के परिवार वालों की अपील पर तोड़ रहे हैं. मंच पर उनके साथ उन किसानों के परिवार वाले भी नज़र आए. ABP न्यूज को ये बात गले नहीं उतर रही थी कि जिन परिवारवालों ने अपनों को खोया है वो मंदसौर से साढ़े तीन सौ किलोमीटर दूर मुख्यमंत्री का उपवास तुड़वाने के लिए उसी दिन कैसे पहुंच गए.



शिवराज सिंह चौहान 10 जून की सुबह 11 बजे उपवास पर बैठे. आंदोलन के दौरान किसानों पर फायरिंग औऱ उसमें हुई मौत के बाद शिवराज सिंह चौहान कटघरे में थे. ऐसे माहौल में पहले उपवास और फिर उपवास के मंच पर मृतक किसानों के परिवारवालों को बुलाकर शिवराज ने ये जताने की कोशिश की कि किसान उनके साथ हैं. उनके उपवास को सहानुभूति हासिल करने का मास्टर स्ट्रोक तक करार दिया गया. लेकिन उपवास के अगले ही दिन रात में शिवराज सिंह चौहान ने जूस पीकर अपना उपवास तोड़ दिया. उस समय मंच से उन्होंने कहा 'मैं अभिभूत हूं. कल जब मैंने वो दृश्य देखा, जिस परिवार के बच्चों की मृत्यु हई, वो परिवार वाले मेरे पास आए और उन्होंने द्रवित होकर कहा कि ठीक है चले गए हमारे बेटे तो इतना जरूर कर देना कि जो अपराधी हैं उनको सजा मिल जाए लेकिन तुम उपवास से उठ जाओ, तुम हमारे गांव आओ.'



शिवराज का उपवास भोपाल में हुआ. जहां से मंदसौर करीब 350 किलोमीटर दूर है. 9 तारीख की शाम को शिवराज ने अपने उपवास का एलान किया था और 10 तारीख को मंदसौर से 4 मृतक किसानों के परिवार शिवराज के मंच पर पहुंच गए. आखिर ऐसा कैसे हुआ कि जिन किसानों की मौत शिवराज की पुलिस की गोली से हुई, उनके परिवार बस चंद घंटों में शिवराज का उपवास तुड़वाने मंदसौर से भोपाल पहुंच गए. सवाल है कि वो खुद गए या उन्हें एक सोची समझी योजना के तहत भोपाल लाया गया. सच जानने के लिए ABP न्यूज ने जब इन किसानों के गांव जाकर पूरी पड़ताल की तो कहानी कुछ और ही निकल कर आई.


एबीपी न्यूज संवाददाता जैनेंद्र कुमार ने फायरिंग में मारे गए किसानों में उन पांच परिवारों से बात करने की कोशिश की जो भोपाल मुख्यमंत्री जी का उपवास तुड़वाने पहुंचे थे. उन परिवार वालों ने अपनी भोपाल यात्रा को लेकर जो खुलासा किया उससे साफ हो रहा था कि वो उपवास तुड़वाने खुद से नहीं गए थे. 5 परिवारों से पूरी बातचीत का सार ये था -

  1. बरखेड़ापंथ
     गांव के 17 साल के अभिषेक पाटीदार की गोली लगने से मौत हुई थी. अभिषेक का भाई संदीप भोपाल गया था. संदीप भाई के अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार गया था लेकिन पिता दिनेश पाटीदार घर पर थे. अभिषेक के पिता दिनेश पाटीदार ने बताया कि संदीप को पाटीदार संघ के तहसील अध्यक्ष महेंद्र पाटीदार और बीजेपी नेता गुणवंत पाटीदार लेकर गए थे. एक और जानकारी ये मिली कि संदीप महेंद्र पाटीदार के यहां काम करता था. दिनेश पाटीदार ने बताया कि 9 तारीख की शाम महेंद्र पाटीदार ने फोन कर कहा कि अपनी मांग रखने के लिए CM से मिलने भोपाल चलना है. अगले दिन सुबह 8 बजे वो संदीप को लेकर वो रवाना हो गए. दिनेश पाटीदार ने तो यहां तक कह दिया कि पहले से सांठगांठ हो गई थी.

  2. बरखेड़ापंथ गांव के पास ही नयाखेड़ा गांव के चेनाराम की भी गोली लगने से मौत हुई थी. 23 साल के चेनाराम के परिजनों ने बताया कि वो लोग भोपाल नहीं गए थे. वजह ये बताई कि मृत्यु के बाद कर्मकांड पूरा होने तक वो लोग घर से नहीं निकलते. हालांकि चेनाराम के भाई हेमराज ने बताया कि 9 तारीख की दोपहर को महेंद्र पाटीदार ने उनसे भोपाल चल कर CM से गुहार लगाने के लिए संपर्क किया था. हेमराज के मुताबिक 9 को ही रात में भोपाल निकलने का और सुबह भोपाल पहुंचने का कार्यक्रम बना था.

  3. मंदसौर के ही गांव चिल्लोद पिपल्या के कन्हैयालाल भी किसान आंदोलन में मारे गए थे. यहां उनके भाई जगदीश पाटीदार ने हमें बताया कि भोपाल चलने का कार्यक्रम 9 तारीख की शाम बीजेपी नेता गुणवंत पाटीदार के कहने पर बना. गुणवंत इनके रिश्ते में ममेरे भाई भी लगते हैं. जगदीश के मुताबिक सुबह 8 बजे गांव से निकले, मंदसौर में कुछ देर रुकने के बाद तकरीबन 10 बजे गुणवंत पाटीदार के साथ मंदसौर से भोपाल के लिए स्कार्पियो में रवाना हुए. जगदीश के मुताबिक वो CM का उपवास तुड़वाने नहीं बल्कि अपनी मांग लेकर गए थे. उन्होंने कहा कि उपवास की जानकारी होती तो जाते ही नहीं. CM के उपवास से उनका क्या लेनदेना?

  4. टकरावत गांव के पूनमचंद पाटीदार उर्फ बबलू के बारे में पता चला कि आंदोलन में सबसे पहली मौत इनकी ही हुई थी. पिछले साल ही इनकी शादी हुई थी. इनके पिता की मौत हो चुकी है. अब इनके पीछे मां और पत्नी बची हैं. इस परिवार से बबलू के चाचा गोपाल पाटीदार भोपाल गए थे. पहले हमें बताया गया कि गोपाल घर पर ही हैं लेकिन बाद में बताया गया कि गोपाल बाहर गए हुए हैं. हमने उनसे फोन पर बात करने की कोशिश की लेकिन वो मिलने को तैयार नहीं हुए. हमने बबलू के परिवार के दूसरे लोगों से बातचीत शुरू की. वहां भी भोपाल दौरे की वही कहानी सुनने को मिली. यानी 9 जून की शाम गुणवंत और महेंद्र पाटीदार आए और अगले दिन चलने का कार्यक्रम बना और सुबह 8 बजे के करीब ये लोग रवाना हुए. यहां ये बताना जरूरी है कि महेंद्र पाटीदार टकरावत गांव के ही रहने वाले हैं. बबलू के चचेरे भाई अर्जुन ने बताया कि वो समस्या रखने गए थे. इसके बाद अर्जुन ने जो कहा वो चौंकाने वाला था. उनके मुताबिक सभी लोगों को शिवराज सरकार में मंत्री नरोत्तम मिश्रा के घर ले जाया गया, जहां मिश्रा ने उनसे कहा कि "आप ये कहना कि हम आपका उपवास तुड़वाने आए हैं." अर्जुन के मुताबिक सभी लोगों से कहा गया था कि मीडिया से भी यही बात कहनी है. अर्जुन ने हमें बताया कि ये बात उन्हें गोपाल पाटीदार ने भोपाल से लौट कर बताई थी. अर्जुन के मुताबिक मिश्रा के कहे मुताबिक लोध गांव के मृतक सत्यनारायण के वृद्ध पिता ने CM से उपवास तोड़ने को कहा. अर्जुन ने साफ कहा कि ये सब एक चाल थी. CM से मुलाकात के बाद सबको मीडिया से ज्यादा बात नहीं करने दी गई.

  5. एबीपी न्यूज पांचवे मृतक किसान सत्यनारायण के घर लोध गांव भी पहुंचा. यहां पहुंचते-पहुंचते शाम हो गई थी. लेकिन इसी जगह सबसे चौंकाने वाली बात पता चली.
    मृतक सत्यनारायण के पिता मांगेलाल और उनके बहनोई धनराज भोपाल गए थे. उन्हें भी 9 जून की शाम भोपाल चलने को कहा गया.उनके मुताबिक राधेश्याम पाटीदार नामके बीजेपी नेता ने उनसे भोपाल चलने को कहा. उनसे ये भी कहा गया कि भोपाल में मुआवजे का चेक मिलेगा.
    भोपाल में उन्हें किसी मंत्री के घर ले जाया गया. धनराज के मुताबिक उन्हें मंत्री ने कहा कि "CM से किसी बात की चर्चा मत करना, कहना कि हम आपका उपवास तुड़वाने आए हैं."

    उनसे ये कहा गया कि "CM उपवास तोड़ेंगे तभी तो तुम्हारी व्यवस्था करेंगे." जब CM से मुलाकात हुई तो बिलखते हुए वृद्ध मांगेलाल ने यही बात दुहरा दी. उन्होंने कहा कि आप उपवास करेंगे तो हमारा काम कौन करेगा? ये बात हमें वही शख्स बता रहा था जिसके घर में मौत हुई थी और जो भोपाल जा कर CM से मिला था.


इन पांच परिवारों से मुलाकात से एक बात साफ हो गयी थी कि भोपाल जाने के लिए इनसे उसी दिन संपर्क किया गया जिस दिन मुख्यमंत्री ने उपवास पर बैठने का एलान किया था. ये परिवार भोपाल के लिए उस दिन सुबह ही रवाना हो गए थे जिस दिन शिवराज सिंह चौहान उपवास पर बैठ रहे थे. सबसे चौकाने वाली बात ये कि इन परिवारों ने साफ बताया कि भोपाल जाने का फैसला उनका अपना नहीं था बल्कि उनसे संपर्क कर अलग-अलग बातें कह तैयार किया गया. इन सभी परिवारों ने पूरी बातचीत में दो नाम बार-बार लिए गुणवंत पाटीदार और महेन्द्र पाटीदार.


गुणवंत पाटीदार जिला पंचायत के उपाध्यक्ष हैं और बीजेपी नेता भी हैं. इन्होंने बताया की ये केवल अपने रिश्तेदार यानी कन्हैयालाल के भाई को लेकर भोपाल गए और किसी से संपर्क नहीं किया. जबकि एक को छोड़ कर सभी परिवारों ने बताया कि उनसे गुणवंत ने भोपाल चलने को कहा था. गुणवंत ने ये भी दावा किया कि वो बाकी परिवारों के भोपाल दौरे के बारे में नहीं जानते थे जबकि सभी परिवार साथ साथ गए थे.


दूसरा नाम महेंद्र पाटीदार. महेंद्र पाटीदार से संघ के तहसील अध्यक्ष हैं. इनका स्टोन क्रशर का काम है. मृतक अभिषेक पाटीदार का भाई संदीप इनके यहां काम करता है. इन्होंने दावा किया कि ये केवल 3 परिवारों को लेकर गए और इसके अलावा इन्हें कुछ जानकरी नहीं थी. इसमें दो झूठ है. पहली है कि सभी परिवार और नेता मंदसौर से भोपाल साथ गए थे दूसरे मृतक कन्हैयालाल के भाई ने कहा कि वो गुणवंत पाटीदार के साथ गए थे.

एबीपी न्यूज ने इनसे भी छुपे कैमरे पर बात की. लेकिन इन्होंने कुछ भी खुलकर नहीं कहा. भोपाल दौरे की प्लानिंग और अंदर की बात के बारे में जब गुणवंत और महेंद्र से जब पूछा गया तो दोनों ने मुस्कुराते हुए किसी योजना से इंकार कर दिया. मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी ऐसी किसी बात से इंकार किया. उनका कहना था कि वो 10 तारीख को भोपाल से बाहर थे. लेकिन मृतकों के रिश्तेदारों का ने एबीपी न्यूज़ को जो बयान दिया है उसे सुनकर आप भी ये सोचने को मजबूर हो जाएंगे कि क्या शिवराज का उपवास फिक्स था?

य़हां देखिए- एबीपी न्यूज़ की ये EXCLUSIVE रिपोर्ट