पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल (सेक्युलर) पर उन्हें उपेक्षित किए जाने, खुद को पार्टी में "कोने का देवता" बना देने जैसी शिकायतें करते हुए जेडी (एस) छोड़ने वाले सी.एम. इब्राहिम एक बार फिर जेडी (एस) में लौट आए हैं. उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी है. पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री सी एम इब्राहिम ने 17 अप्रैल को जनता दल (एस) का दामन थामा है. 73 साल के इब्राहिम को जनता दल (एस) का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. उन्हें 2023 विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी में नई जोश पैदा करने की जिम्मेदारी भी दी गई है.


क्यों कांग्रेस से हुए अलग


जेडीएस छोड़कर कांग्रेस में आए इब्राहिम करीब 14 साल बाद कांग्रेस को छोड़कर गए हैं. इसके पीछे की वजह यहां भी उन्होंने उपेक्षा ही बताई है. रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने जनवरी 2022 में विधान परिषद में पार्टी के लिए नया नेता चुनते वक्त उनकी और उनकी वरिष्ठता की अनदेखी की गई थी. यह फैसला पार्टी के आलाकमान का था. कांग्रेस ने उनकी जगह पिछड़े वर्ग के नेता बी. के. हरिप्रसाद को चुना, जो राज्यसभा के पूर्व सांसद थे. इन्हें पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ अच्छे तालमेल के लिए जाना जाता है. जनवरी में उच्च सदन में कांग्रेस का नेतृत्व करने के लिए हरिप्रसाद के चुने जाने के तुरंत बाद  इब्राहिम ने पार्टी से बाहर निकलने की घोषणा कर दी थी.


'अपनी बात के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा'


इसके अलावा पार्टी आलाकमान से उनका संवाद भी नहीं हो पा रहा था. इब्राहिम कहते हैं कि “मेरा आलाकमान अब मेरे लिए यहां बेंगलुरु में उपलब्ध है. मैं जब चाहूं अपने नेता देवेगौड़ा से या कुमारस्वामी से मिल सकता हूं. अब मुझे पार्टी नेतृत्व से मिलने के लिए लंबा और अंतहीन इंतजार नहीं करना पड़ेगा.


ये है राजनीतिक सफर


1978 में बेंगलुरु शहर से पहली बार जनता पार्टी के विधायक बने थे. इसके बाद वह कांग्रेस और जद (एस) में रहते हुए भी कई बार चुनाव लड़ चुके हैं. इब्राहिम राज्य सभा सांसद और यूपीए सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री भी रह चुके हैं. 2008 में वह जेडीएस छोड़कर कांग्रेस में आए थे.


'कांग्रेस ने हमेशा दिया सम्मान'


कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इब्राहिम को कांग्रेस में हमेशा सम्मान दिया गया. सिद्धारमैया के नेतृत्व में इब्राहिम का समय अनुकूल रहा है. उन्हें 2013 में भद्रावती से चुनाव लड़ाया गया. वह चुनाव हार गए, लेकिन इसके बाद भी उन्हें शुरू में राज्य योजना बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया था. बाद में उन्हें पार्टी द्वारा विधान परिषद का सदस्य चुना गया. यही नहीं सिद्धारमैया गुट ने वास्तव में इब्राहिम को अंत तक कांग्रेस में बनाए रखने के लिए उन्हें खूब मनाया. विधायक ज़मीर अहमद खान को इब्राहिम को मनाने की जिम्मेदारी दी गई थी. कांग्रेस के नेता बताते हैं कि इब्राहिम ने महसूस किया था कि पार्टी के मुस्लिम चेहरे के रूप में उनकी प्रमुखता नए नेताओं के उभरने के साथ कम हो गई है. इसलिए भी उन्होंने पार्टी छोड़ी है.


कांग्रेस पर बोला था हमला


इब्राहिम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस भ्रम में है कि वह 2023 में राज्य में सत्ता में आएगी. हम देखेंगे कि क्या होता है.


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