Dattatreya Hosabale On Two Name Of County: ‘विमर्श भारत का’ पुस्तक के विमोचन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने सोमवार (10 मार्च, 2025) को देश को दो नामों, भारत और इंडिया कहने पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि अपने देश को इंडिया नहीं भारत कहना चाहिए.

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि G20 सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति आवास पर भोज के लिए भेजे गए निमंत्रण के दौरान ‘रिपब्लिक ऑफ भारत’ लिखा गया था. देश को इंडिया नहीं बल्कि भारत कहकर बुलाना चाहिए, क्योंकि इंग्लिश में इंडिया है और भारतवासियों के लिए यह भारत. क्या ऐसा दुनिया में कहीं हो सकता है? 

संविधान से लेकर रिजर्व बैंक के नाम पर उठाए सावल

आरएसएस नेता ने आगे कहा, ''पिछले दिनों में सरकार ने जी20 के निमंत्रण में, उस समय राष्ट्रपति निवास पर भोज के लिए निमंत्रण में, अभी जनवरी 26 के निमंत्रण में प्रधानमंत्री ने संगीत कार्यक्रम के निमंत्रण में रिपब्लिक ऑफ भारत, ऐसे अंग्रेजी में लिखा क्यों भारत के नाम को इंडिया ही कहना चाहिए, वह इंग्लिश में इंडिया है और भारतीय भाषा में भारत है. क्या दुनिया में कहीं ऐसा हो सकता है? कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ़ इंडिया - भारत का संविधान, रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया - भारतीय रिजर्व बैंक, हर जगह पर ऐसा क्यों करना पड़ रहा है. प्रश्न उठना चाहिए, इसको ठीक करना ही पड़ेगा. देश का नाम भारत है तो भारत ही कहो और एक नाम इंडिया क्यों? तो ऐसे विमर्श के कई आयाम हैं.''

उन्होंने कहा, ''अपने आप एक विमर्श खड़ा हो गया, अपने आप इस देश का परिचय देश के सामने, विश्व के सामने आ गया. आज भारत के संदर्भ में अपने को, यह कई प्रकार के राष्ट्र हैं, यह क्या है, राज्य हैं, ऐसे संभ्रम अपने टेक्स्ट बुक में भी हैं, हमारी सार्वजनिक चर्चा में हैं, सरकारी पॉलिसी में, मीडिया में भी आ गए हैं, कई वर्ष पहले आया, आज नहीं आया तो उसके साथ जूझना पड़ रहा है.''

‘संविधान को लेकर फैलाई गई कई भ्रामक बातें’

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा, “भारत के संविधान को लेकर कई भ्रामक बातें फैलाई गई है. कहा जाता है कि भारत केवल कृषि प्रधान देश है, यहां कोई और उद्योग नहीं है, जबकि यह पूरी तरह से गलत है. 1600 ईस्वी के दौरान वर्ल्ड बिजनेस में भारत की 23 फीसदी हिस्सेदारी थी, जो केवल खेती किसानी से नहीं थी. प्राचीन काल में हम किसी भी क्षेत्र में किसी से भी कम नहीं थे, लेकिन बाहरी आक्रांताओं ने हमारे देश का दमन किया.”

‘इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया’

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा, “भारत आज स्वतंत्र है, उसका मस्तिष्क भी स्वतंत्र है. पहले के दशकों में ऐसा पढ़ाया जाता था की गणित और विज्ञान के क्षेत्र में भारत का कोई योगदान नहीं है, लेकिन भारत के इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया. भारत का इतिहास तो समृद्धि से भरा पूरा है. खास बात यह है कि भारत को लेकर विश्व के बहुत से लोग सकारात्मक दृष्टि कौन रखते हैं.”

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