केंद्र की मोदी सरकार ने सोमवार (1 दिसंबर) को संसद को बताया कि पंजाब और हरियाणा में 2022 की तुलना में 2025 में धान कटाई के मौसम के दौरान खेतों में आग लगाए जाने की लगभग 90 प्रतिशत कम घटनाएं दर्ज की गईं हैं. पराली जलाने के प्रभावों को लेकर कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने संसद में ये जानकारी दी है.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने यह भी कहा कि दिल्ली ने 2020 के कोविड लॉकडाउन वाले समय को छोड़कर 2018 के बाद से जनवरी-नवंबर के बीच अपना सबसे कम औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक दर्ज किया है. कांग्रेस सांसद चन्नी ने सवाल किया था कि क्या इस साल पंजाब में खेतों की आग में 20 प्रतिशत की कमी के बावजूद दिल्ली का एक्यूआई 450 को पार कर गया है?
चरणजीत चन्नी के सवाल पर पर्यावरण मंत्री ने क्या कहा?
कांग्रेस सांसद के सवाल पर पर्यावरण मंत्री ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण कई स्थानीय और क्षेत्रीय कारकों का परिणाम है, जिसमें वाहन और औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण से धूल, अपशिष्ट जलाना और मौसम संबंधी स्थितियां शामिल हैं. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि पंजाब और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पराली जलाना भी एक महत्वपूर्ण कारक है.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री द्वारा लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार 2025 में पंजाब में सबसे अधिक पराली जलाने की घटनाएं संगरूर जिले में दर्ज हुई हैं. संगरूर में पराली जलाने की कुल 693 घटनाएं उसके बाद फिर फिरोजपुर में 547 घटनाएं, मुक्तसर में 376 घटनाएं दर्ज हुईं हैं, जबकि जालंधर में 85 घटनाएं दर्ज की गई हैं.
पंजाब और हरियाणा को कितने रुपये दिए गएपराली जलाने पर अंकुश लगाने के लिए किए गए उपायों का जिक्र करते हुए भूपेंद्र यादव ने कहा कि पंजाब और हरियाणा को फसल अवशेषों का निस्तारण करने वाली मशीनों की आपूर्ति के लिए 2018-19 से 3120 करोड़ रुपये से अधिक की राशि केंद्र द्वारा दी गई है.
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