Navy Permanent Commission: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार (21 मई 2025) को कहा कि ‘‘बस बहुत हो गया’’ और उसने नौसेना को शीर्ष अदालत के निर्देश के बावजूद 2007 बैच की ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ अधिकारी को स्थायी कमीशन नहीं देने के लिए फटकार लगाई और अधिकारियों से ‘‘अपना अहं त्यागने’’ को कहा.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अधिकारियों से कहा कि वे 2007 बैच की ‘जज एडवोकेट जनरल’ (जेएजी या विधिक) शाखा की अधिकारी सीमा चौधरी के मामले पर एक सप्ताह के भीतर विचार करें और उन्हें स्थायी कमीशन प्रदान करें.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अपना तौर-तरीका सुधारें
पीठ ने नौसेना अधिकारियों और केंद्र की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बालासुब्रमण्यम से कहा, ‘‘बस बहुत हो गया. कृपया अपना तौर-तरीका सुधारें. हम आपको उन्हें स्थायी कमीशन देने के लिए एक सप्ताह का समय देंगे. क्या संबंधित अधिकारी सोचते हैं कि वे न्यायालय के आदेशों को नजरअंदाज कर सकते हैं? आप किस तरह के अनुशासित (सशस्त्र) बल हैं?’’
स्थायी कमीशन में क्यों नहीं लिया गया?
पीठ ने चयन बोर्ड की कार्यवाही और अधिकारी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट का अवलोकन किया. न्यायालय ने पूछा कि जब अधिकारियों ने दावा किया था कि उन्होंने सभी मानक हासिल कर लिए हैं, तो उन्हें स्थायी कमीशन में क्यों नहीं लिया गया.
'आपको अपना अहं त्यागना होगा'
पीठ ने पूछा, ‘‘संबंधित अधिकारियों को अपना अहं त्यागना होगा. आप कैसे कह सकते हैं कि वह सभी पहलुओं में फिट हैं, लेकिन फिर भी हम उन्हें स्थायी कमीशन में नहीं ले सकते? इस अदालत का स्पष्ट निष्कर्ष है कि उनके मामले पर अलग से विचार किया जाना चाहिए. फिर अब तक उन पर विचार क्यों नहीं किया गया?’’ पीठ ने मामले को ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद आदेश के लिए सूचीबद्ध कर दिया और कहा कि उनकी समीक्षा याचिका पर शीर्ष अदालत द्वारा पारित 2024 का फैसला निर्णायक चरण में पहुंच गया है.