प्रवर्तन निदेशालय (ED) की बेंगलुरु जोन की टीम ने दिल्ली और गुरुग्राम में 18 नवंबर से 22 नवंबर, 2025 तक एक बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया. ये कार्रवाई ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग ऐप विंजो (WinZO) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में की गई. जांच के दौरान ईडी ने करीब 505 करोड़ रुपये के अमाउंट फ्रीज कर दिया है, जो बैंक बैलेंस, बॉन्ड्स, FDR और म्यूचुअल फंड्स के रूप में पाया गया. ये कार्रवाई PMLA के तहत की गई.
ईडी के हाथ ये मामला तब लगा जब कई FIR विंजो और उससे जुड़े लोगों के खिलाफ दर्ज हुई. शिकायतों में आरोप था कि कंपनी ने लोगों के अकाउंट ब्लॉक किए, फर्जी पहचान का इस्तेमाल किया, पैन कार्ड का गलत इस्तेमाल किया और KYC डेटा का दुरुपयोग किया. कई ग्राहकों ने कहा कि उनके नाम से गेमिंग अकाउंट चलाए गए और उन्हें लाखों का नुकसान हुआ.
ईडी की जांच में क्या हुआ खुलासा?
ED की जांच में सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ कि विंजो (WinZO) कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर ग्राहकों को ये दिखा रही थी कि वे असली खिलाड़ियों के साथ खेल रहे हैं, जबकि असल में उन्हें सॉफ्टवेयर और एल्गोरिदम से गेम खिलाया जा रहा था, जिससे ग्राहकों के हारने की संभावना बढ़ जाती थी. इस तरीके से कंपनी ने करोड़ों का फायदा कमाया.
कई ग्राहकों ने ये भी शिकायत की कि उनके वॉलेट में पड़ा पैसा कंपनी निकालने नहीं दे रही थी. विड्रॉल (Withdrawal) लिमिट लगा दी गई या पैसा पूरी तरह रोक लिया गया. ईडी की जांच में ये भी सामने आया कि विंजो ने भारत से ही अपना ऐप इस्तेमाल करते हुए ब्राजील, अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों में भी रियल मनी गेम्स ऑपरेट किए. वहीं, सरकार की ओर से 22 अगस्त, 2025 से रियल मनी गेम्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद भी कंपनी ने 43 करोड़ रुपये ग्राहकों को वापस नहीं किए.
सिर्फ कागजों पर ही मौजूद हैं कंपनी- ईडी
सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि कंपनी ने भारत से बड़ी रकम अमेरिका और सिंगापुर भेज दी. जिसे विदेशी निवेश के नाम पर दिखाया गया. जांच में पाया गया कि WINZO US Inc. नाम की कंपनी के अमेरिकी बैंक अकाउंट में करीब 489.90 करोड़ रुपये (55 मिलियन अमेरिकी डॉलर) पार्क किए गए है. ईडी का दावा है कि ये कंपनी कागजों पर ही मौजूद है, जबकि सारा संचालन भारत से होता है. ईडी अब ये जांच कर रही है कि ये पैसा कैसे भेजा गया और किसके निर्देश पर इस्तेमाल किया गया. मामले की जांच जारी है.
पॉकेट52 ऑनलाइन गेमिंग कंपनी पर भी ईडी ने की कार्रवाई
वहीं, एक दूसरे मामले में एक और ऑनलाइन गेमिंग कंपनी Pocket52 पर भी ईडी ने कार्रवाई की. इसी जांच के दौरान ईडी ने बेंगलुरु और गुरुग्राम में निरदेसा नेटवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड (Nirdesa Networks Pvt. Ltd.), गेम्सक्राफ्ट टेक्नोलॉजिस प्राइवेट लिमिटेड (Gameskraft Technologies Pvt. Ltd.) और कंपनी से जुड़े डायरेक्टर्स के घरों और ऑफिसों पर भी छापेमारी की.
ईडी की छापेमारी में मिले कई अहम सबूत
पॉकेट52 नाम के ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के खिलाफ कर्नाटक पुलिस ने FIR दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्लेटफॉर्म पर गेम के रिजल्ट पहले से तय किए जाते थे, खिलाड़ी आपस में मिले होते थे, टेक्निकल गड़बड़ियां की जाती थी और ग्राहकों को पैसे निकालने में रोका जाता था. एक शिकायतकर्ता ने कहा कि उसे 3 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ और कंपनी उसकी शिकायतों को नजरअंदाज करती रही.
कई यूजर्स ने आरोप लगाया कि पॉकेट52 ने गेम का सिस्टम ऐसे सेट किया था कि खिलाड़ी अक्सर हारें और कंपनी को फायदा हो. ईडी की छापेमारी में कंपनी के डायरेक्टर्स और फाउंडर्स के पास से मोबाइल फोन लैपटॉप अन्य डिजिटल डिवाइस जब्त किए गए. साथ ही गेम्सक्राफ्ट कंपनी के ऑफिस से बड़े स्तर पर डेटा बैकअप भी लिया गया है.
ईडी ने अलग-अलग बैंक अकाउंट्स में रखे 18.57 करोड़ किए फ्रीज
केंद्र सरकार ने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 (PROG Act) के तहत 22 अगस्त, 2025 को रियल मनी गेमिंग पर प्रतिबंध लगाया था. इसके बावजूद पॉकेट52 और उससे जुड़ी कंपनियों ने अपने ग्राहकों के 30 करोड़ रुपये से ज्यादा अब तक वापस नहीं किए हैं. ईडी ने जांच के दौरान पाया कि अलग-अलग बैंकों में मौजूद 8 escrow accounts, जिनमें लगभग 18.57 करोड़ रुपये थे, उन्हें भी फ्रीज कर दिया गया है. इन खातों में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े पैसे होने का शक है.
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