नई दिल्ली:हिन्दी साहित्य का एक और अध्याय गुरुवार को समाप्त हो गया. देर रात मशहूर कथाकार हिमांशु जोशी का निधन हो गया. वह काफी समय से बीमार चल रहे थे. उनके निधन के बाद पूरे साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई.


उत्तराखंड में चंपावत जिले के ज्योस्यूडा गांव में चार मई 1935 को जन्मे जोशी की कहानियां, उपन्यास पढ़ते वक्त सारी घटनाएं सच प्रतीत होती है. उन्होंने 'कगार की आग', 'छाया मत छूना मन' जैसे उपन्यास लिखे. उनकी प्रमुख कहानी संग्रह में 'जलते हुए डैने', 'मनुष्य चिह्न' काफी प्रचिलत रहे.कल्पना और यथार्थ का चित्रण उनके लेखन में साफ देखा जा सकता हैं.


उनकी अन्य चर्चित रचना 'तुम्हारे लिए' पर दूरदर्शन पर धारावाहिक और 'सुराज' उपन्यास पर फिल्म भी बन चुकी है. साहित्य के साथ-साथ उनका पत्रकारिता में भी लंबा करियर रहा. 1968 से 1971 तक वह कादंबनी और 1971 से 1993 तक साप्ताहिक हिन्दुस्तान के साथ काम किया. उन्होंने अमर शहीद अशफाकउल्लाह खां की जीवनी भी लिखी थी जो काफी प्रचलित हुई.


उन्हें कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जिसमें गोविंद वल्लभ पंत सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का पुरस्कार और केंद्रीय हिंदी संस्थान का गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार शामिल है.