किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है. ED ने लंबे समय से अटकी हुई कर्मचारियों की बकाया रकम में से 311.67 करोड़ रुपये की रेस्टिट्यूशन (वापसी) की प्रक्रिया पूरी कराने में अहम भूमिका निभाई है. ये पैसा अब किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व कर्मचारियों को दिया जाएगा. ED की ओर से ये कदम PMLA यानी मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत उठाया गया है, जिसका मकसद अपराध से कमाई गई रकम को सही हकदारों तक पहुंचाना है.
ये रकम 12 दिसंबर 2025 को चेन्नई के Debt Recovery Tribunal (DRT-I) के रिकवरी ऑफिसर के आदेश के बाद जारी की गई. ये पैसा उन शेयरों की बिक्री से आया है, जिन्हें पहले ED ने जब्त किया था और बाद में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को लौटाया गया था. अब ये रकम ऑफिशियल लिक्विडेटर को ट्रांसफर की जाएगी, जो इसे किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व कर्मचारियों में बांटेगा.
विजय माल्या से जुड़ी कंपनियों के खिलाफ CBI की FIR
ED ने किंगफिशर एयरलाइंस, विजय माल्या और उनसे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ CBI की FIRs के आधार पर जांच शुरू की थी. जांच में सामने आया कि बैंकों से लिया गया लोन सही काम में इस्तेमाल नहीं हुआ. एक बैंक का कर्ज चुकाने के लिए दूसरे बैंकों का पैसा लगाया गया. बैंक ऑफ बड़ौदा के बिल सेटल किए गए. विदेशी भुगतान किए गए, जिन्हें एयरक्राफ्ट लीज और पार्ट्स खरीदने का नाम दिया गया.ED ने जांच के दौरान 5,042 करोड़ की संपत्ति PMLA के तहत अटैच की. इसके अलावा 1,694.52 करोड़ की संपत्ति CrPC के तहत जब्त की. इसके साथ ही ED ने विजय माल्या को 5 जनवरी 2019 को भगोड़ा आर्थिक अपराधी भी घोषित कर दिया था.
बकाया रकम चुकाने का रास्ता साफ
ED अब तक 14132 करोड़ की संपत्ति SBI और बैंक कंसोर्टियम को लौटा चुका है. इसी संपत्ति पूल से अब कर्मचारियों की बकाया रकम चुकाने का रास्ता साफ हुआ. ED ने इस मामले में SBI के सीनियर अधिकारियों से लगातार बातचीत की. ED की पहल पर SBI ने DRT में एक अर्जी दाखिल की और साफ कहा कि कर्मचारियों का बकाया, बैंकों के कर्ज से पहले चुकाया जाए. इसके बाद DRT ने 311.67 करोड़ रुपये कर्मचारियों को देने का आदेश दिया. इस पूरी कार्रवाई से ये साफ है कि ED सिर्फ अपराधियों की संपत्ति जब्त करने तक सीमित नहीं है, बल्कि उसका फोकस ये भी है कि पीड़ितों, खासकर कर्मचारियों को उनका हक वापस मिले.
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