ED Chargesheet on National Herald Case : नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दायर की गई चार्जशीट पर अब आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. कांग्रेस इस मामले को जहां राजनीतिक मकसद के लिए जांच एजेंसियों के गलत इस्तेमाल का आरोप लगा रही है, वहीं बीजेपी इस पर सवाल खड़े कर रही है कि अगर कहीं कोई भ्रष्टाचार हुआ और जांच एजेंसी अपना काम कर रही है तो इस पर कांग्रेस को क्या आपत्ति हो सकती है.
BJP के सीनियर नेता रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन और कांग्रेस की ओर से लगाए जा रहे हैं आरोपों पर सवाल उठाते हुए पूछा कि अगर जांच एजेंसी के सामने ऐसे तथ्य आए हैं जो यह साबित करते हैं कि गलत तरीके से एसोसिएटेड जनरल की संपत्ति को गांधी परिवार ने अपने कब्जे में लिया है. जिसमें गैर-कानूनी तरीकों का इस्तेमाल किया गया है और जांच के दौरान ऐसे तथ्य और सबूत सामने आए हैं जिनको ध्यान में रखते हुए चार्जशीट दायर की गई तो आखिर इस पर कांग्रेस को इतनी आपत्ति क्यों है?
रवि शंकर प्रसाद ने पूरे मामले का जिक्र करते हुए कहा, “कैसे कांग्रेस ने एसोसिएटेड जनरल को 90 करोड़ का लोन दिया और बाद में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के स्वामित्व वाली कंपनी यंग इंडियन को वह लोन हस्तांतरित कर दिया गया. इतना ही नहीं यंग इंडियन ने 50 लाख रुपये देकर एसोसिएटेड जनरल की देशभर में हजारों करोड़ों की संपत्ति को अपने नाम कर लिया.”
कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन पर बोले रवि शंकर प्रसाद
रवि शंकर प्रसाद ने कांग्रेस की ओर से देशभर में किए जा रहे प्रदर्शन पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, “हर किसी को प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि क्या जो घोटाला किया गया उसको बचाने के लिए यह प्रदर्शन किया जा रहा है.” रवि शंकर प्रसाद ने पूछा कि क्या इस तरीके का प्रदर्शन कर जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) पर दबाव डालने की कोशिश की जा रही है, जिससे की जांच एजेंसी अपना काम निष्पक्ष तरीके से ना कर सके?”
25 अप्रैल को होगी मामले में अगली सुनवाई
जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार (9 अप्रैल) को दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत में नेशनल हेराल्ड मामले में आरोपपत्र दाखिल करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत अन्य कांग्रेसी नेताओं को आरोपी बनाया है. इस मामले की अगली सुनवाई अगले शुक्रवार (25 अप्रैल) को होगी, तब अदालत तय करेगी कि क्या जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दायर की गई चार्जशीट पर संज्ञान लिया जा सकता है या नहीं.
अगर अदालत चार्जशीट पर संज्ञान लेती है तो राहुल गांधी, सोनिया गांधी समेत अन्य आरोपियों को अदालत में पेश होने के लिए समन जारी करेगी और उसकी अगली सुनवाई के दौरान तमाम आरोपी जब अदालत में पेश होंगे तो उनको अदालत से जमानत लेनी पड़ेगी. अगर इस मामले में अदालत जमानत दे देती है तो तमाम आरोपी जमानत पर बाहर रहेंगे और मामले की सुनवाई अदालत में चलती रहेगी. लेकिन अगर अदालत को ऐसा लगता है कि आरोपियों के बाहर रहने से केस से जुड़े हुए तथ्यों और सबूत पर फर्क पड़ सकता है तो ऐसे मामले में अदालत जमानत देने से इंकार भी कर सकती है. अगर ऐसा होता है तो राहुल गांधी, सोनिया गांधी समेत अन्य आरोपियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक जाएगी.