ईडी ने 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए कोलकाता के रहने वाले अमरनाथ दत्ता को गिरफ्तार किया है. ये मामला Reliance Power Ltd की एक सहायक कंपनी की तरफ से Solar Energy Corporation of India (SECI) को फर्जी बैंक गारंटी जमा कराने से जुड़ा है. ED ने अमरनाथ दत्ता को 6 नवंबर को मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तार किया.
एजेंसी का कहना है कि दत्ता ने खुद को ट्रेड फाइनेंस कंसल्टेंट बताया था, लेकिन असल में वो इस पूरे फर्जीवाड़े में अहम भूमिका निभा रहे थे. उन्होंने रिलायंस पावर के पूर्व सीएफओ अशोक पाल और पार्थ सारथी बिस्वाल के साथ मिलकर नकली बैंक गारंटी तैयार करवाई थी.
ईडी ने अमरनाथ दत्ता को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया, जहां से अदालत ने उसे चार दिन की ED कस्टडी में भेज दिया है. ये मामला उस वक्त सामने आया जब SECI ने रिलायंस पावर की एक सहयोगी कंपनी द्वारा जमा की गई बैंक गारंटी की जांच कराई और पता चला कि ये पूरी तरह फर्जी थी.
SECI ने इस मामले में दिल्ली पुलिस की Economic Offences Wing में एफआईआर दर्ज कराई थी. बाद में ED ने इस एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की. जांच में सामने आया कि रिलायंस पावर की कंपनी ने 68 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी और नकली बैंक कन्फर्मेशन लेटर दिए थे. इस वजह से SECI को 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ.
ED की जांच में खुलासा
ED की जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी लोगों ने SBI की पहचान का इस्तेमाल करने के लिए एक स्पूफ ईमेल डोमेन बनाया. sbi.17313@s-bi.co.in. ताकि SECI को भरोसा दिलाया जा सके कि बैंक गारंटी असली है.
इतना ही नहीं, जांच में कई और नकली बैंक डोमेन भी मिले हैं, जैसे —lndiabank.in
- lndusindbank.in
- pnblndia.in
- psdbank.co.in
- siliguripnb.co.in
- lobbank.co.in
- unionbankofIndia.co.in
इन सभी वेबसाइटों के नाम असली बैंकों से मिलते-जुलते है, लेकिन इनमें जानबूझकर एक या दो अक्षरों में मामूली बदलाव किया गया है, ताकि किसी को शक न हो.
ED अब तक तीन गिरफ्तारियां इस केस में ED अब तक तीन गिरफ्तारियां कर चुकी है, जो इस प्रकार है:
- पार्थ सारथी बिस्वाल, एमडी, M/s Biswal Tradelink Pvt. Ltd. (पहली गिरफ्तारी)
- अशोक कुमार पाल, पूर्व CFO, Reliance Power Ltd. (दूसरी गिरफ्तारी)
- अमरनाथ दत्ता, फाइनेंस कंसल्टेंट (तीसरी गिरफ्तारी)
ED अब ये पता लगाने में जुटी है कि इस घोटाले से हुए पैसों का इस्तेमाल कहां-कहां हुआ, कौन-कौन लोग इसमें शामिल थे, और किन लोगों ने इस फर्जीवाड़े से फायदा उठाया.
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