संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बिना उन्हें आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा बदलती दुनिया में देशों को एक अधिक समकालीन, कुशल और स्वीकार्य ग्लोबल वर्कफोर्स तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र इस वास्तविकता से बच नहीं सकते कि राष्ट्रीय जनसांख्यिकी के कारण कई देशों में ग्लोबल वर्कफोर्स की मांग पूरी नहीं की जा सकती. ट्रंप के सख्त रुख के बीच जयशंकर की टिप्पणीउनकी यह टिप्पणी व्यापार और शुल्क चुनौतियों के साथ-साथ आव्रजन पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सख्त रुख के बीच आई है, जिसमें H-1B वीजा पर 100,000 अमेरिकी डॉलर का नया शुल्क भी शामिल है, जो मुख्य रूप से भारतीय पेशेवरों को प्रभावित करता है. भारतीय इन अस्थायी कार्य वीजा के लाभार्थियों में अधिसंख्यक हैं. अधिक स्वीकार्य ग्लोबल वर्कफोर्स के निर्माण की अपीलसंयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान बुधवार (24 सितंबर, 2025) को ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘एट द हार्ट ऑफ डेवलपमेंट: एड, ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी’ को संबोधित करते हुए एस जयशंकर ने एक ऐसे ग्लोबल वर्कफोर्स के निर्माण का आह्वान किया जो अधिक स्वीकार्य, समकालीन और कुशल हो, जिसे फिर एक विकेन्द्रित, ग्लोबल वर्कप्लेस में स्थापित किया जा सके. उन्होंने कहा, 'उस ग्लोबल वर्कफोर्स को कहां रखा जाए और उसकी तैनाती कहां हो, यह एक राजनीतिक बहस का विषय हो सकता है. लेकिन इससे बचा नहीं जा सकता. अगर आप मांग और जनसांख्यिकी को देखें, तो कई देशों में सिर्फ उनकी राष्ट्रीय जनसांख्यिकी के आधार पर मांग पूरी नहीं की जा सकती.' वास्तविकता से भाग नहीं सकते- जयशंकरउन्होंने कहा, 'यह एक वास्तविकता है. आप इस वास्तविकता से भाग नहीं सकते. तो हम ग्लोबल वर्कफोर्स का एक अधिक स्वीकार्य, समकालीन, कुशल मॉडल कैसे बना सकते हैं, जो एक विकेंद्रित, वैश्विक कार्यस्थल में तैनात किया जा सके? मुझे लगता है कि यह आज एक बहुत बड़ा प्रश्न है जिसका समाधान अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को करना है.' व्यापार अपना रास्ता खोज ही लेता है- जयशंकरजयशंकर ने कहा, 'हम इस पुनः संरचित होती दुनिया का हिस्सा बनते हुए यह देखेंगे कि देशों के बीच नए और अलग तरह के व्यापारिक समझौते होंगे, ऐसे फैसले लिए जाएंगे जो सामान्य परिस्थितियों में शायद नहीं लिए जाते. देश आज नई साझेदारियों और नए क्षेत्रों की तलाश में इच्छुक होंगे और कभी-कभी उन्हें इसकी मजबूरी भी महसूस होगी.'उन्होंने कहा, 'भले ही अनिश्चितताएं और अंदाजा न लगाए जा सकने वाले पहलू मौजूद हों, लेकिन अंततः व्यापार अपना रास्ता खोज ही लेता है.' उन्होंने कहा कि आज 'व्यापार करना पहले से कहीं आसान है' भौतिक और डिजिटल दोनों कारणों से, क्योंकि आज इंसानी इतिहास में पहले से कहीं बेहतर सड़कें, नौवहन सुविधाएं और कहीं अधिक सुगम व्यापारिक परिदृश्य मौजूद हैं.
'सच से भाग नहीं सकते', जयशंकर ने बिना नाम लिए ट्रंप को सुना डाला, बोले- बहुत से देश अपनी...
पीटीआई- भाषा | आशुतोष सिंह | 25 Sep 2025 10:50 PM (IST)
S Jaishankar in UNGA: एस जयशंकर की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब व्यापारिक तनाव और अमेरिकी प्रशासन द्वारा आव्रजन वीज़ा, खासकर एच-1बी पर नई पाबंदियां भारतीय पेशेवरों को सीधे प्रभावित कर रही हैं.
एस जयशंकर ने ट्रंप को लिया आड़े हाथ.