रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारतीय नौसेना को छह महत्वपूर्ण स्वदेशी उत्पाद सौंपे हैं, जो परमाणु, जैविक और रासायनिक (NBC) खतरों से निगरानी और सुरक्षा में मदद करेंगे. यह उत्पाद न्यूक्लियर क्वालिटी स्टैंडर्ड्स (NSQR) के अनुसार डिज़ाइन और विकसित किए गए हैं.

विशेष समारोह जोधपुर स्थित डिफेंस लैबोरेटरी में आयोजित किया गया, जहां रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग (DDR&D) के सचिव और DRDO के चेयरमैन ने ये उपकरण भारतीय नौसेना मुख्यालय में एसीएनएस (SSP) रियर एडमिरल श्रीराम अमूर को औपचारिक रूप से सौंपे.

सौंपे गए ये छह प्रमुख स्वदेशी उत्पाद

1. गामा रेडिएशन एरियल सर्विलांस सिस्टम (GRASS): यह सिस्टम हवाई निगरानी के जरिए रेडिएशन की पहचान करता है. यह सीमावर्ती क्षेत्रों या परमाणु घटनाओं के बाद हालात का जायजा लेने में मददगार है.

2. एनवायरनमेंटल सर्विलांस व्हीकल (ESV): यह वाहन रेडिएशन, रासायनिक और जैविक खतरों की निगरानी के लिए तैयार किया गया है. इसमें अत्याधुनिक सेंसर लगे हैं.

3. व्हीकल रेडियोलॉजिकल कंटैमिनेशन मॉनिटरिंग सिस्टम (VRCMS): यह सिस्टम सैन्य वाहनों में रेडियोधर्मी संदूषण की जांच करता है, जिससे ऑपरेशनल सुरक्षा सुनिश्चित होती है.

4. अंडरवाटर गामा रेडिएशन मॉनिटरिंग सिस्टम (UGRMS): यह प्रणाली समुद्र के भीतर रेडिएशन का पता लगाने में सक्षम है. इसका उपयोग नौसेना संचालन के दौरान समुद्री पर्यावरण सुरक्षा के लिए किया जाएगा.

5. डर्ट एक्सट्रैक्टर और क्रॉस कंटैमिनेशन मॉनिटर (DECCOM): यह उपकरण सफाई के साथ-साथ संदूषण की पहचान भी करता है. इसे सैन्य बेस और जहाजों पर इस्तेमाल किया जा सकता है.

6. ऑर्गन रेडियोएक्टिविटी डिटेक्शन सिस्टम (ORDS): यह उपकरण किसी सैनिक या व्यक्ति के शरीर में रेडियोधर्मी तत्वों की मौजूदगी की पहचान करता है.

भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी रियर एडमिरल श्रीराम अमूर ने DRDO का आभार व्यक्त किया और कहा कि ये उत्पाद नौसेना के NBC सुरक्षा नेटवर्क में क्रांतिकारी सुधार लाएंगे.

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