मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने बंबई हाई कोर्ट को बताया कि वह जल्द बिस्तर से उठ नहीं सकने वाले लोगों को घर जाकर कोविड रोधी टीका लगाने का प्रायोगिक आधार पर कार्यक्रम शुरू करेगी और इसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी का इंतजार नहीं करेगी. इसपर कोर्ट ने सरकार से कहा है कि इस कार्यक्रम को शुरू करने के लिए केंद्र की मंजूरी की जरूरत क्यों है.

जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी कोर्ट

हाई कोर्ट दो याचिकाकर्ताओं धृति कपाड़िया और कुणाल तिवारी की तरफ से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार को 75 साल से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों, बिस्तर से उठ नहीं सकने वाले लोगों के लिए घर-घर टीकाकरण शुरू करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है.

केरल, झारखंड, बिहार में पहले से घर-घर टीका कार्यक्रम लागू- हाई कोर्ट

सरकार ने दाखिल हलफनामे में कहा था कि उसे घर-घर जाकर कोविड-19 रोधी टीका लगाने का कार्यक्रम शुरू करने से पहले केंद्र सरकार से मंजूरी लेनी होगी. इस पर अदालत ने कहा था कि मंजूरी की जरूरत क्यों है, जब केरल, झारखंड, बिहार ने पहले ही घर घर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू कर दिया है.

हाई कोर्ट ने मीडिया में आई खबरों का भी दिया हवाला

इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने मीडिया में आई कुछ खबरों को भी रेखांकित किया, जिसमें कहा गया है कि त्रिपुरा के पर्वती क्षेत्र में डॉक्टर और नर्सें टीका लगाने के लिए लोगों के घर जा रहे हैं. कोर्ट ने इस मामले को आगे की सुनवाई के लिए आज न्यायाधीश के कक्ष में सूचीबद्ध किया है.

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