ABP News Public Interest Show: जनता के भरोसेमंद और देश के लीडिंग न्यूज चैनल में से एक एबीपी न्यूज़ ने अपने प्राइम टाइम शो 'पब्लिक इंटरेस्ट' (Public Interest) को लॉन्च कर दिया है. इस शो में मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) और पंजाब से जुड़ा बड़ा खुलासा किया गया है. एक अपराधी अपनी क्राइम कंपनी जेल के अंदर से कैसे चलाता रहा. लोगों को कैसे डराता रहा. एक सजायाफ्ता के लिए पूरा सिस्टम घुटनों के बल कैसे बिछ गया, आपको बताते हैं.


ये कोई फिल्मी कहानी नहीं है, ये सब कुछ असलियत में हुआ. ये उस पंजाब में हुआ जहां डॉन मुख्तार अंसारी दो साल तक रहा, जहां उसे वीवीआईपी (VVIP) ट्रीटमेंट मिला. मुख्तार अंसारी यूपी में जुर्म की दुनिया का वो नाम, वो माफिया है जिसके जिक्र भर से कभी देश का सबसे बड़ा सूबा थरथराया करता था. उसी डॉन को लेकर दो सरकारें आमने सामने आ गईं. जो यूपी की जेल से अपना क्राइम नेटवर्क चलाता था, रंगदारी वसूलता था, उसी मुख्तार अंसारी पर सियासी महरबानियों की बारिश हुई है. 


मुख्तार के लिए लड़ी दो राज्यों की सरकारें


एक सरकार ने मुख्तार को कानून की ताकत दिखाई तो दूसरी डाॅन के बचाव में उतर आई. बात इतनी बढ़ गई कि मुख्तार को लेकर दो राज्यों की सरकार दो साल तक लड़ी. सरकारी कागजों से लेकर सबसे बड़ी कचहरी तक, लेकिन सवाल है कि आखिर मुख्तार अंसारी को एक सूबे की सरकार क्यों बचा रही थी? मुख्तार का कवच बनकर पंजाब में कौन-कौन मौजूद था? यूपी की जेल में मुख्तार को किससे डर लगता था और पंजाब में डाॅन का ये डर कैसे निकला. 


सीएम भगवंत मान को सौंपी गई रिपोर्ट


दरअसल पंजाब में सत्ता बदलने के बाद भगवंत मान सरकार ने मुख्तार अंसारी वाले केस की पूरी पड़ताल करवाई. मुख्तार अंसारी को पंजाब में किसने सुविधाएं दी. स्पेशल डीजीपी ने इसकी जांच की और इस इंवेस्टिगेशन में बड़े खुलासे हुए. जांच की आंच पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामन तक पहुंच गई है. उनके खिलाफ केस दर्ज करने की सिफारिश की गई है. 


रिपोर्ट में हुआ ये खुलासा


पंजाब की सियासत के एक और बड़े नेता, तत्कालीन जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा पर भी एफआईआर की रिकमेंडेशन है. भ्रष्टाचार और इंडियन पीनल कोड की धारा 193, 218, 220 और 120 बी के तहत केस दर्ज किया जा सकता है. स्पेशल डीजीपी आर एन ढोके की जांच रिपोर्ट सीएम भगवंत मान के पास पहुंच गई है. रिपोर्ट में है कि अंसारी को ऐश कराने वाले पुलिस और जेल के अफसरों पर भी एफआईआर दर्ज की जाए यानी डाॅन की मदद करने वाले पुलिस और जेल महकमे के अफसर भी नपेंगे. 


रची गई थी गहरी सियासी साजिश


पंजाब सरकार की जांच रिपोर्ट कहती है कि यूपी के डाॅन मुख्तार अंसारी को पंजाब की जेल में शिफ्ट करने के पीछे एक बड़ी और गहरी सियासी साजिश रची गई थी. साजिश की वजह डाॅन मुख्तार का डर था जो यूपी की बांदा जेल में उसे चैन से सोने नहीं दे रहा था. अब ये डर क्या था जरा उसे भी समझ लीजिए. दरअसल यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद तमाम माफिया डॉन पर एक्शन शुरू हो गए. 


यूपी में मुख्तार को लगता था डर


बेहिसाब संपत्तियों पर सरकारी बुलडोजर गरजने लगे. इसी दौरान साल 2018 में मुख्तार अंसारी के मुकदमों की सुनवाई यूपी की फास्ट ट्रैक कोर्ट में होने लगी. मुख्तार अंसारी की करोड़ों की संपत्ति भी बुलडोजर वाले एक्शन के रडार पर आ गई. अब मुख्तार को डर सताने लगा कि इसी तरह कानूनी कार्रवाई तेज रफ्तार से चलती रही तो उसे कई लंबित आपराधिक मामलों में सजा मिलनी शुरू हो जाएगी. उसके जुर्म का हिसाब होने लगेगा और अगर ऐसा हुआ तो फिर वो कभी सिस्टम को बायपास नहीं कर पाएगा.


इसी डर के बाद अंसारी ने पंजाब वाले प्लान को एग्जीक्यूट करना शुरू किया. अंसारी ने पंजाब के अपने हाई लेवल के संबंधों का इस्तेमाल किया और फिर बांदा की जेल के अंदर से ही पंजाब शिफ्ट होने का मास्टर प्लान तैयार हो गया. रिपोर्ट में इसका खुलकर जिक्र है. अब सवाल था कि यूपी की जेल में बंद माफिया डॉन बांदा से पंजाब कैसे पहुंचेगा. 


मोहाली में दर्ज करवाई गई एफआईआर


जांच रिपोर्ट में दावा है कि डाॅन ने पाॅलिटिकल जुगाड़बाजी से मोहाली में अपने खिलाफ एक एफआईआर दर्ज करवाई. पंजाब में तब कांग्रेस की सरकार थी. कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री थे. इसीलिए रिपोर्ट में तत्कालीन पंजाब सरकार की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा है कि चाहे अपनी दोस्ती निभाने के लिए दोस्तों को जेल में रखा गया, चाहे किसी भी तरफ से पंजाब के खजाने को लूटा उसकी तो जांच होगी ही और जो सजा बनती है कानून के हिसाब से वो भी मिलेगी. 


इस कहानी में और भी कई टव्सिट और सस्पेंस हैं. पहले इस एफआईआर के तथ्यों पर गौर करते हैं जिसकी स्क्रिप्ट डाॅन ने बांदा की जेल से लिखी थी. दरअसल, 7 जनवरी 2019 को मोहाली के बड़े बिल्डर उमंग जिंदल ने पुलिस को एक कंप्लेंट दी. कंप्लेंट में कहा गया कि उनके मोबाइल फोन पर कॉल आया था जिसमें यूपी से कोई अंसारी बोल रहा था. उसने 10 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी है. जिसके बाद मोहाली पुलिस ने अंसारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली. 


मुख्तार को यूपी से पंजाब लाया गया


इसके बाद अगले दिन यानी 8 जनवरी 2019 को मोहाली पुलिस ने इस केस में यूपी के डाॅन मुख्तार अंसारी को नामजद किया. 17 जनवरी 2019 को मुख्तार अंसारी का प्रोडक्शन हासिल किया गया और 19 जनवरी 2019 को मोहाली पुलिस यूपी की बांदा जेल के लिए निकली. 21 जनवरी 2019 को थानेदार हरविंदर सिंह की टीम ने डाॅन को हिरासत में लिया. इसके अगले दिन उसे मोहाली कोर्ट में पेश कर एक दिन का रिमांड लिया. 


इसके बाद डाॅन की आवाज के सैंपल लिए गए और उसे जेल गया. स्पेशल डीजीपी आर एन ढोके की रिपोर्ट में लिखा है कि डॉन के पंजाब में पॉलिटिकिल लिंक्स की सियासी सेटिंग की वजह से फिरौती वाली एफआईआर दर्ज हुई. इस मामले में पुलिस की तत्परता पर भी सवाल उठे हैं. 24 जनवरी 2019 को मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल में शिफ्ट किया गया था, लेकिन उसके बाद पंजाब पुलिस का जो रवैया था. उसने सभी को चौंका दिया. 


यूपी की फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहे केस फंसे


स्पेशल डीजीपी की रिपोर्ट में जोर देकर लिखा गया कि यूपी का डाॅन मुख्तार अंसारी एक क्रिमिनल केस के बहाने पंजाब आया और फिर यूपी जाने को तैयार नहीं हुआ. इसका सीधा असर ये हुआ कि मुख्तार पर यूपी की फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहे दर्जनों मुकदमे फंस गए. इसके बाद जब भी यूपी पुलिस ने अंसारी की रिमांड मांगी तो बहाने लगाए गए. अंसारी को पंजाब में रोकने के लिए कैप्टन सरकार में डाॅक्टरों के मेडिकल बोर्ड तक का गठन किया.  


पंजाब सरकार पर डॉन अंसारी को यूपी भेजने का प्रेशर बढ़ रहा था. साजिश और सेटिंग का चक्रव्यूह कमजोर होने लगा था. ऐसे में पंजाब में एक और नई साजिश ने सिर उठाया वो साजिश कितनी बड़ी और गहरी थी. पंजाब सरकार की रिपोर्ट में इस पर और चौंकाने वाला खुलासा हुआ.  


पुराना केस भी खोला गया


रिपोर्ट बताती है कि जब डॉन को बचाने की साजिश कमजोर पड़ने लगी थी तो 5 साल पुराने केस का पुलिंदा नए सिरे से खोला गया. केस अनट्रेस मर्डर का था. जिसमें अंसारी को मुख्य आरोपी बना दिया गया. 26 नवंबर 2014 को रोपड़ के मोरिड़ा थाने में एक ब्लाइंड मर्डर हुआ. इस केस में कोई नामजद अभियुक्त नहीं था. मोरिंडा में हुए ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी अनसुलझी थी. जिसकी वजह से साल 2015 में इस केस की फाइल बंद कर दी गई.


करीब साढ़े चार साल बाद अंसारी को बचाने के लिए ये फाइल खोली गई. जैसा कि रिपोर्ट में दावा है. पंजाब सरकार की रिपोर्ट बताती है कि 27 मई 2019 को एफआईआर नंबर 252 में शिकायतकर्ता का नया बयान दर्ज किया गया और ऐसा इसलिए किया गया ताकि पंजाब में डॉन अंसारी का क्रमिनल रिकॉर्ड मजबूत किया जा सके. मोरिंडा में हुए ब्लाइंड मर्डर केस में अंसारी को अभियुक्त बना दिया गया. जिससे अंसारी को लंबे अर्से तक पंजाब में रखने का कानूनी रास्ता साफ रहे, लेकिन पंजाब पुलिस की इसी चाल में अब उसकी गर्दन फंस गई है. 


पंजाब सरकार के मंत्री ने क्या कहा?


पंजाब के मंत्री ब्रह्म शंकर जिंपा ने कहा कि देखिए पिछली सरकारों ने अलग-अलग धांधलियां की हैं. इसमें अगर पिछली सरकार की कैप्टन सरकार के टाइम की बात करूं तो अंसारी को जो जेल में रखा गया सरकार की तरफ से उसकी मेहमान नवाजी की गई है. ये तो सिद्ध हो रहा है. ये बातें सामने आ रही हैं. बड़ी हैरानी की बात है कि यूपी सरकार अंसारी को मांग रही थी और वो उसे दे नहीं रहे थे. 


सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यूपी पहुंचा वापस


तत्कालीन कैप्टन सरकार और उनकी पुलिस की सांठगांठ के बीच साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर आया. जिसके बाद अंसारी को वापस यूपी भेजना पड़ा, लेकिन कैप्टन सरकार ने यहां भी डॉन पर रहम की सारी हदें पार की. खेल ये था कि अंसारी को जिस मर्डर केस में अभियुक्त बनाया था. उसकी फाइल भी दोबारा बंद करनी था. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में उसका ये पैंतरा फेल हो गया था. इसलिए 2014 के उस केस के शिकायतकर्ता को फिर तलब किया और इस बार उसका बयान अंसारी को फंसाने के लिए नहीं बल्कि उसे बेगुनाह बनाने के लिए लिया गया.


हो सकता है पुलिस फाइल में यह गडबड़ी दबी रहती, छुपी रहती, लेकिन अंसारी की पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट में जेलर ने जो हलफनामा दिया था उसने पुलिस महकमे की पोल खोल दी. हलफनामे में पूरे ब्लाइंड मर्डर केस का जिक्र है और ये हलफनामा अब पंजाब सरकार की मुख्तार फाइल का हिस्सा है. जो चीख-चीख कर गवाही देती है कि पंजाब की कैप्टन सरकार में डाॅन की खातिर कितने गड़बड़झाले हुए. 



जेल में मिला था वीवीआईपी ट्रीटमेंट


अब आपको मुख्तार अंसारी को मिलने वाले वीवीआईपी ट्रीटमेंट के सबसे चौंकाने वाला तथ्य बताते हैं. रोपड़ जेल की जिस बैरक में मुख्तार अंसारी को रखा गया था उसमें 35 कैदियों की जगह थी, लेकिन बैरक में अकेले मुख्तार रहता था. रिपोर्ट में लिखा है कि डॉन के लिए 35 लोगों की बैरक खाली की गई. बैरक में डॉन की सुरक्षा खुद पंजाब पुलिस करती थी.


डॉन से मुलाकातियों की जेल रजिस्टर में एंट्री नहीं होती थी. मुख्तार का रसूख ऐसा था कि रोपड़ जेल में डॉन अपने मेहमानों से जेल सुपरिनटेंडेंट के दफ्तर में मिलता था. ये भी अफवाह है कि डॉन मुख़्तार अंसारी पंजाब जेल में अपनी पत्नी से मिलता था और उसकी पत्नी वहीं रूकती भी थी. जब भी कोई डॉन से मिलने आता तो जेल में लगे सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए जाते थे. कैमरे के पीछे क्या होता था ये सिर्फ मुख्तार अंसारी को पता है.


रोपड़ जेल के अंदर मुख्तार अंसारी की मौज के बारे में खबर कैप्टन सरकार के बाकी मंत्रियों और नौकरशाहों को भी थी. इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में लिखा है कि पंजाब के डीजीपी इंटेलिजेंस ने दो बार जेल अफसरों को चिट्ठी भेजकर मुख्तार के सिंडिकेट के बारे में बताया था. यूपी के अधिकारी ने भी जेल के अंदर डॉन के फोन इस्तेमाल करने पर अमरिंदर सरकार को चिट्ठी लिखी थी, लेकिन इन दोनों इनपुट पर कोई एक्शन नहीं हुआ. 


जेल की जिंदगी रोपड़ में ही बिताना चाहता था


कुल मिलाकर कहें तो यूं समझ लीजिए कि मुख्तार अंसारी जेल की जिंदगी रोपड़ में ही बिताना चाहता था क्योंकि रोपड़ की जेल के अंदर और बाहर उसकी ऐश का पूरा ख्याल रखा जाता था. जेल से कुछ ही दूरी पर मुख्तार का परिवार रहता था और जेल के अंदर पंजाब सरकार के बड़े-बड़े अफसर मुख्तार की खातिरदारी करते थे. उधर यूपी की योगी सरकार रोपड़ की जन्नत से माफिया को खींच लाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही थी.


रोपड़ की जेल में मुख्तार अंसारी की ऐश में कोई खलल न पड़े, उसके वीवीआईपी ट्रीटमेंट में कोई कमी न रह जाए इसका जिम्मा मुख्तार के दो चेले संभालते थे. एक था चंद्रिका उर्फ चंदू और दूसरे का नाम था राहुल. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मुख्तार के लिए रोपड़ के तत्कालीन एसएसपी ने जेल में पुलिस वालों को गार्ड की तरह डॉन की सुरक्षा में लगाया. इस तैनाती के लिए पंजाब पुलिस ने मुख्तार अंसारी के क्रिमिनल पास्ट और सिक्योरिटी थ्रेट का हवाला दिया था. अंसारी फिलहाल यूपी की बांदा की जेल में बंद है.


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