DMK MP Attack On Central Govt: डीएमके सांसद ए राजा ने केंद्र सरकार की तीन भाषा नीति की आलोचना करते हुए विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हम अलगाववादी नहीं हैं, लेकिन केंद्र सरकार हमें अलगाववादी बनने पर मजबूर कर रही है.
राजा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषा नीति संबंधी टिप्पणी पर भी निशाना साधते हुए उन पर देश में विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा कि कुछ लोग भाषा के नाम पर देश को अलग करने की कोशिश कर रहे हैं. यदि आपको संदेह है कि हम भाषा के आधार पर देश को विभाजित करेंगे, तो क्या हमें इस बात पर भी संदेह नहीं करना चाहिए कि आप धर्म के आधार पर देश को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं?"
इसका कड़ा विरोध होगाउन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि प्रधानमंत्री भाषा के मुद्दे पर बोलना जारी रखते हैं, तो इसका कड़ा विरोध होगा. राजा ने कहा, "अगर आप अभी भी भाषा के मुद्दे पर बयान देते हैं, तो हमारे उपमुख्यमंत्री कहेंगे, 'वापस जाओ, मोदी' और हम संसद में कहेंगे, 'मोदी चुप रहो'." उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी अलगाववाद की वकालत नहीं करती, लेकिन केंद्र की नीतियां उन्हें मजबूर कर रही हैं.
तमिलनाडु कांग्रेस अध्यक्ष ने भी किया विरोधतमिलनाडु कांग्रेस के अध्यक्ष सेल्वापेरुन्थगई ने भी केंद्र सरकार की तीन भाषा नीति पर निशाना साधते हुए कहा, "भाजपा तमिलनाडु में आरएसएस की विचारधारा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है, लेकिन उनका यह सपना कभी पूरा नहीं होगा."
प्रधानमंत्री मोदी का बयानप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (21 फरवरी,2025 ) को कहा कि भारतीय भाषाओं के बीच कभी कोई दुश्मनी नहीं रही, बल्कि वे एक-दूसरे को समृद्ध करती रही हैं. उन्होंने भाषा के आधार पर मतभेद पैदा करने वाली भ्रांतियों से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा कि सरकार देश की हर भाषा को मुख्यधारा का हिस्सा मानती है.
पीएम मोदी ने कहा, "भाषाओं ने हमेशा एक-दूसरे को प्रभावित और समृद्ध किया है. जब भाषा के आधार पर विभाजन की कोशिश की जाती है, तो हमारी साझा भाषाई विरासत इसका मजबूत प्रतिवाद प्रस्तुत करती है. सभी भाषाओं को अपनाना और समृद्ध करना हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है."
धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु सरकार के रुख को बताया ‘राजनीतिक एजेंडा’इससे पहले, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र की आलोचना की. उन्होंने कहा कि स्टालिन राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित होकर काल्पनिक चिंताएं उठा रहे हैं. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपने की सिफारिश नहीं करती है. इसका मतलब यह है कि एनईपी किसी भी तरह से तमिलनाडु में हिंदी थोपने की नीति नहीं बना रही है."
तमिलनाडु सरकार और केंद्र के बीच ‘समग्र शिक्षा’ फंड पर विवादतमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखकर राज्य के लिए ‘समग्र शिक्षा’ फंड जारी करने की मांग की थी. उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान पर भी चिंता व्यक्त की, जिसमें कहा गया था कि तमिलनाडु को फंड तभी मिलेगा जब वह एनईपी 2020 में उल्लिखित तीन भाषा नीति को लागू करेगा.