मुंबई: देश में कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा प्रकोप महाराष्ट्र में देखने को मिला है. मुंबई देश में सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बनकर उभरा है. वहीं इस प्रकोप को देखते हुए देश में लॉकडाउन 17 मई तक बढ़ा दिया गया है. इस बीच राज्य सरकार ने राज्य में प्रैक्टिस कर रहे सभी डॉक्टरों से अपील की है कि वह अपना क्लीनिक बंद ना रखें और बिना कोरोना वायरस से संक्रमित सभी मरीजों का इलाज भी सामान्य तौर पर करते रहें.
सरकार के इस निर्देश के बाद अभी भी कई डॉक्टर इस पहल में शामिल नहीं हो रहे हैं. बताया जा रहा है कि मुंबई के भीतर तकरीबन 25000 निजी अस्पतालों के डॉक्टरों को कोरोना वायरस के रोगियों के इलाज के लिए कई अस्पतालों में नियुक्त किया गया है और कहा गया है कि तत्काल प्रभाव से अस्पतालों में रिपोर्ट करें अस्पतालों में नियुक्ति है वहां कम से कम 15 दिन अवश्य बिताएं.
इस नियुक्ति के बाद ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि जहां डॉक्टरों ने अभी तक काम शुरू नहीं किया है. सरकार अब सख्त हो गई है और कहा है कि अगर असाइन किए गए अस्पताल में रिपोर्ट नहीं किया गया तो कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है. जरूरत पड़ी तो प्रेक्टिस का लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाएगा.
मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के निर्देशक की तरफ से अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें देर रात मुंबई के सभी निजी अस्पतालों के डॉक्टरों को इन्फोर्म कर दिया गया है. राज्य सरकार ने तमाम कानूनी पहलू को ध्यान में लेते हुए यह अधिसूचना जारी की है और कहा है कि कोरोना मरीजों की रोकथाम उपचार के लिए कम से कम डॉक्टरों को 15 दिन तक सेवा देने की जरूरत है. डॉक्टरों को पूछा भी जा रहा है कि अपनी इच्छा और पसंद की जगह बताएं जहां आप अपनी सेवाएं देना चाहेंगे.
वहीं कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच अगला एक महीना बहुत महत्वपूर्ण रहने वाला है. जिसके तहत मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने स्वास्थ्य विभाग के और अधिकारियों की सलाह के बाद अभी फैसला लिया है. बीमारी को नियंत्रित करने के लिए अधिक चिकित्सा स्वास्थ्य कर्मियों की जरूरत पड़ने जा रही है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि डॉक्टर इस आपातकालीन महामारी की स्थिति में काम करने से इनकार करते हैं तो उन्हें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की नैतिकता संहिता को भंग करने के साथ निलंबित किया जाएगा.
सीएम ने कहा कि इस चुनौती के बीच में मेडिकल स्टाफ को सुरक्षा देने की पूरी तैयारी है. उनकी ड्यूटी के लिए उन्हें भुगतान भी किया जाएगा. आंकड़े बता रहे हैं कि 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों पर बीमारी का प्रभाव ज्याद है. इसलिए 55 साल से अधिक उम्र के डॉक्टर को छूट दी जा रही है.
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