Delhi Municipal Corporation (Amendment) Bill, 2022: तीनों नगर निगमों को एक करने के लिए आज लोकसभा में बिल पेश होगा. सूत्रों के मुताबिक़ बिल में अन्य प्रावधानों के अलावा एकीकृत निगम में वार्डों के संख्या की अधिकतम सीमा तय की जा सकती है. इसके लिए बिल में वार्डों की सीमा और संख्या निर्धारित करने के लिए नए परिसीमन का भी प्रावधान किए जाने की संभावना है. ऐसे में अब निगम चुनाव फ़िलहाल टलते नज़र आ रहे हैं, क्योंकि परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने में समय लग सकता है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पेश करेंगे बिल
लोकसभा की कार्यसूची के मुताबिक़, आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिल को सदन में पेश करेंगे. अगले हफ़्ते बहस के बाद बिल के पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा से पारित होने की संभावना है. बिल का नाम दिल्ली नगर निगम ( संशोधन ) बिल 2022 है. इसके प्रावधानों को लेकर सूत्रों से मिली शुरुआती जानकारी के मुताबिक़, बिल में एकीकृत निगम के वार्डों की कुल संख्या घटाने और उसकी ऊपरी सीमा निर्धारित करने का प्रावधान शामिल किया जा सकता है. फ़िलहाल तीनों निगमों को मिलाकर वार्डों की कुल संख्या 272 है, जिसे घटाकर अधिकतम 250 किए जाने की संभावना है. अगर वार्डों की संख्या में बदलाव होता है तो उसकी सीमाओं का भी पुनर्निर्धारण किया जाएगा. इसके लिए बिल में परिसीमन का प्रावधान भी शामिल किया जा सकता है. साथ ही महिलाओं और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों का प्रावधान भी किए जाने की उम्मीद है.
2011 में हुआ था क़ानून में बदलाव
इसी हफ़्ते मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट ने बिल को मंज़ूरी दी थी. सूत्रों के मुताबिक़ बिल के उद्देश्यों में कहा गया है कि 2011 में क़ानून में बदलाव कर दिल्ली नगर निगम का बंटवारा कर उसे तीन भागों में बांटा गया था, जिसमें वार्डों की सीमाओं और तीनों निगमों में वित्तीय संसाधन जुटाने के मामले में बड़ी असमानता थी. इसके परिणामस्वरूप तीनों निगमों के संसाधनों और उनकी देनदारी के मामले में एक बड़ी खाई थी, जो लगातार बढ़ती ही चली गई. बिल के मुताबिक़, धीरे धीरे हालात इतने ख़राब होते चले गए कि निगमों के कार्यरत और रिटार्यड कर्मचारियों को वेतन देने में भी मुश्किलें आने लगीं. इसका असर दिल्ली में मिलने वाले नागरिक सुविधाओं पर भी पड़ने लगा था.
अब जबकि निगम चुनाव का टलना तय होता जा रहा है तो दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच तनातनी भी बढ़ने लगी है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कल ही विधानसभा में इसे लेकर सीधे प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी उनकी छोटी सी पार्टी से डर गई. आने वाले दिनों में इस मसले पर तनातनी और बढ़ने की आशंका है.