दिल्ली सचिवालय के मुख्य द्वार के सामने इंसाफ की मांग करते पैरामेडिकल स्टाफ के करीब 300 से 400 लोग मौजूद हैं. इनके अनुसार उन्हें केवल एक दिन के अंदर नोटिस देकर कॉन्ट्रेक्ट खत्म होने की जानकारी  दी गई. स्टाफ का कहना है कि कोरोना काल के दौरान कई बार कॉन्ट्रेक्ट बढ़ाया गया था लेकिन अब बिना प्रॉपर नोटिस के उन्हें बेरोजगार कर दिया गया है. 


प्रदर्शन कर रहे प्रमेडिकल स्टाफ में अस्थायी नर्स, कंप्यूटर डेटा एंट्री ऑपरेटरों मौजूद हैं जिन्होंने कोविड-19 के दौरान ड्यूटी के लिए दिल्ली सरकार के साथ काम किया था. दरअसल उन्हें एक मेल के जरिए यह जानकारी दी गई कि उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. मेल पर दी गई सूचना के अनुसार "टीकाकरण गतिविधि के लिए अतिरिक्त जनशक्ति (डॉक्टरों, नर्सिंग कर्मियों और सीडीईओएस) की भर्ती को मार्च 2022 से आगे नहीं बढ़ाया जाना है" 


अपील और मांग रोज़गार की है


प्रदर्शनकारी पैरामेडिकल के अनुसार उन्हें मोहल्ला क्लिनिक, डिस्पेंसे कहीं भी नौकरी दे सरकार क्योंकि दो वर्ष पूर्व किए गए वादे के अनुसार 100 दिन पूरे होने पर उन्हें नौकरी देनी के लिए आश्वस्त किया गया था. प्रदर्शनकारियों के पोस्टर पर लिखा है "कोरोना महामारी में काम करने का तोहफा मिला "बेरोजगारी", "दिल्ली सरकार इंसाफ दो." 


प्रदर्शन ने मौजूद 7 महीने की गर्भवती शिवानी शर्मा कहती हैं "हमारा कॉन्टैक्ट बढ़ना चाहिए. हमारे साथ अन्याय हो रहा है. एक दो दिन पहले बता कर बस ये कह दिया गया है कि आपका कॉन्टैक्ट खत्म हो गया है. ये गलत है." प्रदर्शन को लीड कर रही काजल शर्मा कहती हैं कि, 'यहां सभी 11 जोन के लोग हैं, हमें कोविड के समय कॉन्ट्रैक्ट पर लिया गया था जिसके बाद कॉन्ट्रेक्ट कई महीनों तक बढ़ाए गए. अब भी टीकाकरण 12-15 साल के बच्चों का चल रहा है लेकिन हमे क्यों निकाल दिया गया? बिना नोटिस के कॉन्ट्रेक्ट खत्म कर दिया. हमें बेरोजगार नहीं बनना, हमें बस रोजगार दे सरकार. 


एक झटके में हमें बेरोजगार कर दिया- सुमित गर्ग


वसीम कहते हैं. 'हमें दिल्ली हेल्थ सर्विस में ले सरकार. अभी हम थर्ड पार्टी के अंदर हैं. हमें थर्ड पार्टी से हटा कर दिल्ली सरकार अपने अंतर्गत ले, ये अपील है. हमें डिस्पेंसरी, मोहल्ला क्लिनिक में सरकार लगा सकती है जहां स्टाफ की जरूरत होती है. लैब टेक्नीशियन सुमित गर्ग का कहना है, 'जब दिल्ली की जनता को कोरोना काल में हमारी जरूरत थी हम उस वक्त मैदान में उतरे थे. परिवार को  छोड़ कर हमने अपना कर्तव्य निभाया. लैब टेक्नीशियन बनने में हमें 3 साल लगते हैं जिसके बाद लैब कोट हमें मिल पाता है और एक झटके में कॉन्ट्रेक्ट खत्म कर दिया गया. ये आखिर कहां तक जायज है?


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