दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के गेट पर जोरदार धरना प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन शिक्षकों के एडवांस इंक्रीमेंट रोकने और वसूली संबंधी स्पष्टीकरण पत्र के विरोध और अन्य शिक्षकों की मांगों को लेकर किया गया था. देशभर के शिक्षक बड़ी संख्या में इस धरने में शामिल हुए.
धरने को संबोधित करते हुए डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर ए के भागी ने कहा कि एडवांस इंक्रीमेंट स्पष्टीकरण को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाए. उन्होंने बताया कि पहले भी नवंबर 2017 में एम फिल और पी एच डी अग्रिम वेतन वृद्धि को रोकने के प्रयास किए गए थे, लेकिन शिक्षक के जबरदस्त विरोध के कारण यह संभव नहीं हुआ.
स्थाई रूप से नियुक्त शिक्षकों को एम. फिल और पी एच डी की उपाधि के लिए प्रोत्साहन के रूप में एडवांस इंक्रीमेंट का व्यवधान चौथे वेतन आयोग में देना शुरू किया गया था. चौथे वेतन आयोग से लेकर सातवें वेतन आयोग में निरंतर केंद्रीय विश्वविद्यालय, आई आई टी और आई आई एम में इसे दिया जा रहा था. हाल ही में 10 फरवरी को यूजीसी ने एडवांस इंक्रीमेंट स्पष्टीकरण देशभर के केंद्रीय विश्वविद्याल को भेजा, जिसमें एम फिल और पी एच डी के लिए दी गई एडवांस इंक्रीमेंट को रोकने और वसूली संबंधी निर्देश दिए गए थे. इस स्पष्टीकरण में इंक्रीमेंट रोकने और वसूली को लेकर देश भर के शिक्षक आक्रोश में थे. प्रोफेसर ए के भागी के नेतृत्व में दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने इस मामले में एक ज्ञापन यूजीसी चेयरमैन एम जगदीश को सौंपकर इसे वापस लेने की मांग की थी.
डूटा अध्यक्ष ने नवनियुक्त अस्थाई शिक्षक की पूर्ण पोस्ट सर्विस को सर्विस में जोड़ने की मांग भी की. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार वित्त पोषित कॉलेजों की ग्रांट और वेतन की समस्या के अस्थाई समाधान के लिए केंद्र सरकार को इनका अधिग्रहण करना चाहिए. इलाहबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ और इलाहाबाद विश्वविद्यालय संघटक महाविश्वविद्यालय शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने भी धरने प्रदर्शन में भाग लेकर यूजीसी के आदेश को वापस लेने की मांग की. डूटा उपाध्यक्ष सुंधाशु कुमार और डॉ त्रिवेंद्र चुंबक ने कहा कि अगर शिक्षक की मांग को पूरा नहीं किया जाता है तो आने वाले समय में इस आंदोलन को तेज किया जाएगा.
यह भी पढ़ें:-जगुआर फाइटर जेट क्यों हुआ हादसे का शिकार? IAF ने बताई वजह, जानें पायलट ने कैसे बचाई जान