नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा में विस्फोटक मिलने की घटना के बाद अब दिल्ली में ससंद भवन के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में भी सुरक्षा जांच शुरु कर दी है. ये जांच एक स्पेशल टीम कर रही है. संसद भवन की जांच में कुल 60 सुरक्षा कर्मी लगे हैं. संसद भवन की तलाशी जांच में सात खोजी कुत्तों को भी लगाया गया है. बता दें कि यूपी विधानसभा में आज पीईटीएन नाम का विस्फोटक मिला है.


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जो स्पेशल टीम संसद भवन की जांच कर रही है उसमें 20 से 22 लोग हैं. ये टीम मेटल डिटेक्टर और सात खोजी कुत्तों सहित तमाम ऐसे डिवाइस लेकर संसद भवन की जांच कर रही है जो किसी विस्फोटक की जांच करने में सक्ष्म है.

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राज्यसभा और लोकसभा के अलावा केंद्रीय कक्ष की सीटों के नीचे भी तलाशी ली जा रही है. हालांकि हर दिन एक सुरक्षा टीम संसद भवन की सुरक्षा की जांच करती है. लेकिन आज जिस तरह से यूपी विधानसक्षा में विस्फोटक मिला है उसके बाद देश भर में सुरक्षा एजेंसिया सतर्क हो गई हैं.

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के संसद भवन के दफ्तर में सीढ़ी मंगवाकर, एयर कंडीशनर की तलाशी ली गई है. एसी के टनल में विस्फोटक छिपे होने की आशंका से एसी के टनल की तलाशी ली जा रही है.

12 जुलाई को मिला था विधानसभा में विस्फोटक

बता दें कि दो दिन पहले 12 जुलाई की सुबह यूपी विधानसभा के अंदर विस्फोटक मिलने का खुलासा हुआ है. फौरेंसिक जांच मे विस्फोटक मिलने की पुष्टि हुई है, हालांकि डेटोनेटर नहीं मिला है. यह विस्फोटक 150 ग्राम की मात्रा में मिला है.

12 जुलाई की सुबह यूपी विधानसभा के अंदर विस्फोटक मिला. ये उस जगह पर रखा था जहां तमाम पार्टियों के विधायक बैठते हैं. ये विस्फोटक समाजवादी पार्टी के विधायक मनोज पांडे की सीट के नीचे मिला है. मनोज ने सीएम योगी से विधानसभा की सुरक्षा और कड़ी करने की मांग की है.

क्या है पीईटीएन?

पीईटीएन बहुत शक्तिशाली प्लास्टिक विस्फोटक होता है. यह गंधहीन होता है इसलिए इसे पकड़ने में काफी मुश्किल आती हैं. खोजी कुत्ते और मेटल डिटेक्टर भी इसका पता नहीं लगा सकते. बहुत कम मात्रा में होने पर भी पीईटीएन से बड़ा धमाका हो सकता है. इसका सेना और खनन उघोग में भी इस्तेमाल किया जाता है. वह भी विशिष्ट और खास तरह के मामलों में ही पीईटीएन का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे हालात में विधानसभा तक पीईटीएन पहुंचना एक बड़ा सवाल है.

बड़ी बात यह है कि यह कोई मेटल यानी धातु नहीं होता इसलिए एक्स-रे मशीन भी इसे नहीं पकड़ पाती. यह एक रासायनिक पदार्थ होता है.  साल 2011 में दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर हुए धमाके में भी पीईटीएन का इस्तेमाल किया गया था.