दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों से जुड़े यूएपीए मामले में जमानत का आग्रह करते हुए कार्यकर्ता उमर खालिद ने शुक्रवार (31 अक्टूबर, 2025) को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हिंसा से उसके संबंध का कोई सबूत नहीं है और उसके खिलाफ लगाए गए साजिश रचने के आरोप गलत हैं.
उमर खालिद की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन वी अंजारिया की बेंच को बताया कि 2020 के दिल्ली दंगों से उसे जोड़ने वाले धन, हथियार या किसी भी भौतिक साक्ष्य की कोई बरामदगी नहीं हुई है.
उन्होंने कहा, '751 प्राथमिकी हैं, एक में मुझ पर आरोप लगाया गया है, और अगर यह एक साजिश है, तो यह थोड़ा आश्चर्यजनक है!' कपिल सिब्बल ने कहा, 'अगर मैंने (उमर खालिद) दंगों की साजिश रची थी, तो जिन तारीखों को दंगे हुए, मैं दिल्ली में नहीं था. मुझे हिंसा से जोड़ने वाला कोई धन, हथियार और भौतिक साक्ष्य अभी तक नहीं मिला है.'
उन्होंने कहा कि किसी भी गवाह का बयान वास्तव में याचिकाकर्ता को किसी भी हिंसात्मक कृत्य से नहीं जोड़ता. कपिल सिब्बल ने दलील दी कि खालिद समानता के आधार पर जमानत का हकदार है. उन्होंने कहा कि उसके साथी कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा को जून 2021 में जमानत मिल गई थी.
उन्होंने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार करते हुए 17 फरवरी, 2020 को अमरावती में उमर खालिद के भाषण को भड़काऊ करार दिया था. कपिल सिब्बल ने कहा, 'यह यूट्यूब पर उपलब्ध है. यह एक सार्वजनिक भाषण था, जिसमें मैंने (खालिद ने) गांधीवादी सिद्धांतों के बारे में बात की थी.' इस बीच, गुलफिशा फातिमा की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि वह अप्रैल 2020 से पांच साल पांच महीने से जेल में हैं.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मुख्य आरोपपत्र 16 सितंबर, 2020 को दायर किया गया था, लेकिन अभियोजन पक्ष ने हर साल पूरक आरोपपत्र दायर करना एक वार्षिक चलन बना लिया है. उन्होंने कहा कि फातिमा की जमानत याचिका पर विचार करने में अत्यधिक देरी हुई है, जिसे 2020 से 90 से अधिक बार सूचीबद्ध किया गया है.
सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने शरजील इमाम की ओर से कहा कि पुलिस को अपनी जांच पूरी करने में तीन साल लग गए. उन्होंने कहा, 'दंगों से लगभग दो महीने पहले मैंने (शरजील ने) ये भाषण दिए थे.' दवे ने कहा कि ऐसा कोई प्रत्यक्ष या निकट संबंध नहीं है जिससे पता चले कि शरजील ने हिंसा भड़काई.
सुनवाई बेनतीजा रही और यह तीन नवंबर को जारी रहेगी. दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को आरोपियों की जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने शांतिपूर्ण विरोध की आड़ में शासन परिवर्तन अभियान चलाकर देश की संप्रभुता और अखंडता पर प्रहार करने की साजिश रची.
खालिद, शरजील, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर पर फरवरी 2020 के दंगों के कथित तौर पर प्रमुख षड्यंत्रकारी होने को लेकर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और तत्कालीन भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था. इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे. यह हिंसा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हुई थी.