Excise Policy of Delhi Government: दिल्ली में एक अगस्त से पुरानी आबकारी नीति फिर से चालू होने जा रही है. पिछले साल नई आबकारी नीति लागू की गई थी. दिल्ली के राज्यपाल ने नई आबकारी नीति को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. सीबीआई जांच के बाद पुरानी आबकारी नीति को फिर से बहाल करने का फैसला लिया गया है. दरअसल, दिल्ली के उपराज्यपाल के दफ्तर से मिली जानकरी के मुताबिक, उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने चीफ सेक्रेट्री की एक रिपोर्ट के जवाब में मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.


दिल्ली के चीफ सेक्रेट्री ने आठ जुलाई को यह रिपोर्ट एलजी को सौंपी थी, जिसमें कहा गया है कि नई आबकारी नीति के तहत शराब लाइसेंसधारियों को पोस्ट टेंडर गलत लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर जीएनसीटीडी एक्ट 1991, व्यापार नियमों का लेनदेन (TOBR) 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का उल्लंघन किया गया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मुख्य रूप से टॉप लेवल के पॉलिटिकल द्वारा फाइनेंशियल क्विड प्रो क्वो का संकेत है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसे आबकारी विभाग के मंत्री मनीष सिसौदिया ने ही फाइनल किया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निविदाएं दिए जाने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय सहायता दी गई, इससे राजकोष को भारी नुकसान हुआ. चीफ सेक्रेट्री की इस रिपोर्ट को उपाज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों को भेजा गया है.


यह थी दिल्ली सरकार नई आबकारी नीति


दिल्ली सरकार (Delhi Govt) की नई आबकारी नीति (New  Excise Policy) के तहत दिल्ली (Delhi) को 32 जोन में बांटा गया था, जिसके लिए 849 लाइसेंस आवंटित किए गए थे. इस तरह हर जोन में औसतन 26 से 27 शराब की दुकानें (Liquor Shops) खुल रही थीं. एक जोन में 8 से 9 वार्ड शामिल किए गए थे. इस तरह हर इलाके में आसानी से शराब उपलब्‍ध हो रही थी. अभी तक 60 फीसदी दुकानें सरकारी और 40 फीसदी निजी हाथों में थीं लेकिन इस नीति के बाद 100 फीसदी दुकाने निजी हाथों में चली गई थीं. 


नई आबकारी नीति के मुताबिक, दिल्ली में शराब के सेवन और बिक्री से जुड़े नियम अब इस प्रकार थे-



  • दिल्ली में शाराब पीने की कानूनी उम्र सीमा 25 वर्ष से घटकर 21 वर्ष कर दी गई थी.

  • अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर संचालित स्वंतत्र दुकान और होटल पर 24 घंटे शराब की बिक्री हो रही थी.

  • शराब की दुकान कम से कम 500 वर्ग फीट में ही खुल रही थी. पहले अधिकांश सरकारी दुकानें 150 वर्ग फीट में थी, जिनका काउंटर सड़क की तरफ होता था.

  • दुकान का कोई काउंटर सड़क की तरफ नहीं था. 

  • लाइसेंसधारक मोबाइल एप या वेबसाइट के माध्यम से ऑर्डर लेकर शराब की होम डिलीवरी कर रहे थे.

  • किसी छात्रावास, कार्यालय या संस्थान में शराब की डिलीवरी करने की इजाजत नहीं थी.

  • दुकानों में व्यवस्था की गई थी एंट्री और एक्जिट गेट अलग थे. दुकानों के बाहर खाने-पीने की दुकानें नहीं थीं. सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की गई थी.

  • सभी दुकानें मार्केट रेट के हिसाब से शराब की कीमत तय कर रही थीं.


यही वजह थी कि कई दुकानों ने अपने हिसाब से बड़े-बड़े ऑफर देने शुरू किए जैसे कि एक पर एक फ्री.


यह भी पढ़ें- Explainer: एयरफोर्स की ताकत कहलाने वाला Mig-21 कैसे बन गया उड़ता ताबूत? कारगिल युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका


बीजेपी ने केजरीवाल सरकार पर लगाए ये आरोप


बीजेपी ने इस नई नीति पर सवाल उठाते हुये कहा था कि इससे दिल्ली में शराब की दुकानें बढ़ेंगी. इस नीति में पैसे तय करने से लेकर ब्रांड तय करने के अधिकार ठेकदारों के पास होंगे. बीजेपी ने कहा था कि अगर जगह-जगह ठेके खुलेंगे तो इससे घरों में परेशानी बढ़ेगी. बीजेपी ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाया था कि वह रिवेन्यू के नाम पर दिल्ली को शराब के नशे में डुबोने की कोशिश कर रही है. बता दें कि दिल्ली में पहले शराब की 250 प्राइवेट दुकानें थी जो नई आबकारी नीति के बाद बढ़कर 850 हो गईं.


यह भी पढ़ें- India COVID 19 Cases: कोरोना मामलों की नहीं थम रही रफ्तार, फिर 20 हजार से ज्यादा मामले आए सामने, 44 लोगों की मौत