Delhi High Court Hearing: दिल्ली हाई कोर्ट ने क्षेत्र में कथित यातायात जाम के कारण सुनहरी बाग मस्जिद के प्रस्तावित विध्वंस के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर विचार करने से बुधवार को इनकार कर दिया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि इसी तरह की एक याचिका पहले से ही हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश के समक्ष लंबित है और आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है.
पीठ ने कहा, ‘‘चूंकि दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए इसके कानूनी और विशेष कर्तव्यों के निर्वहन में पहले ही उचित उपाय किए जा चुके हैं, इसलिए इस अदालत का मानना है कि वर्तमान रिट याचिका में किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है. तदनुसार, याचिका बंद की जाती है.’’
पहले से लंबित है याचिका
पीठ ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि जब इस मुद्दे पर एक याचिका पहले से ही एकल न्यायाधीश के समक्ष लंबित है, तो समान निवेदन के साथ जनहित याचिका दायर करने का क्या मतलब है. वक्फ वेलफेयर फोरम द्वारा दायर जनहित याचिका का केंद्र, दिल्ली पुलिस, दिल्ली वक्फ बोर्ड और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के वकीलों ने कड़ा विरोध किया और कहा कि याचिका में सुनहरी बाग मस्जिद के इमाम द्वारा एकल न्यायाधीश के समक्ष दायर याचिका में कही गई बातों की नकल की गई है.
क्या कहना है मस्जिद के इमाम का
सुनहरी बाग मस्जिद के इमाम अब्दुल अजीज ने एकल न्यायाधीश के समक्ष एनडीएमसी के 24 दिसंबर, 2023 के सार्वजनिक नोटिस को चुनौती दी है, जिसमें आम जनता से मस्जिद को हटाने के संबंध में आपत्तियां/सुझाव देने को कहा गया है. इसी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगायी गई थी जिस पर सुनवाई से इनकार करते हुए जज ने साफ किया कि पहले से लंबित मामले पर फैसला आने दीजियें. उसके बाद कोई दूसरी याचिका पर सुनवाई हो सकती है.