Restaurant Service Tax : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) ने आज केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की सेवा शुल्क वाली याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने रेस्टोरेंट एसोसिएशन को याचिका का जवाब देने के लिए समय दिया है. साथ ही सीसीपीए की अपील के आधार पर रेस्टोरेंट बॉडीज को नोटिस जारी किया है.


हालांकि, हाईकोर्ट ने आगे कहा कि रेस्टोरेंट अपने कर्मचारियों को भुगतान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं, ग्राहकों को इसके लिए उत्तरदायी नहीं बनाया जा सकता है. इसके जवाब में रेस्टोरेंट ने कहा कि 70 सालों से सर्विस चार्ज की प्रथा चल रही है. अगर हम प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ाते हैं, तो इससे Zomato जैसे डिलीवरी ऐप्स को अनुचित लाभ होगा. 


दरअसल, कुछ दिनों पहले ही सीसीपीए ने सरकार की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों पर रोक लगाने के कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें रेस्टोरेंट्स की ओर से फूड के बिलों पर सर्विस चार्ज लगाने पर रोक लगाई गई थी.


वकील भी लेते हैं "क्लर्केज" - रेस्टोरेंट 


रेस्टोरेंट ने सफाई में कहा कि सरकार मूल्य निर्धारण शक्ति को कंट्रोल करने की उम्मीद नहीं कर सकती, रेस्टोरेंट कानून में सेवा शुल्क लगाने के लिए पूरी स्वतंत्र हैं. उन्होंने उदहारण देते हुए कहा कि वकील क्लर्कों को मुआवजा देने के लिए ग्राहकों से "क्लर्केज" भी वसूलते हैं. वहीं, टिप्स देने वाले ग्राहक केवल वेटर, खाना पकाने वाले कर्मचारियों तक ही सीमित हैं, सफाई के लिए मुआवजा नहीं दिया जाता है. 


क्या है पूरा मामला 


दरअसल, सीसीपीए ने रेस्टोरेंट्स द्वारा सर्विस चार्ज लगाने पर रोक लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे और जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने CCPA के दिशा-निर्देशों पर रोक लगा दी थी, जिससे रेस्टोरेंट को सर्विस चार्ज लगाने की अनुमति मिल गई थी. इससे पहले इस मामले में 16 अगस्त को सुनवाई की गई थी, जब कोर्ट ने कहा था अगर रेस्टोरेंट अपने कर्मचारियों के बारे में चिंतित हैं तो उन्हें कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि करनी चाहिए.


रेस्तरां संगठनों की तरफ से कहा गया था कि सेवा शुल्क कोई सरकारी कर नहीं है और यह रेस्टोरेंट में काम करने वाले कर्मचारियों के लाभ के लिए वसूला जाता है. इसी बात पर कोर्ट ने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने की बात कही थी. 


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