दिल्ली: क्या मरकज में हवाला के जरिए हो रही थी फंडिंग?
मरकज मामले में मौलाना साद समेत 7 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज है. फिलहाल मौलाना साद अपने जाकिर नगर वाले घर में ही क्वॉरन्टीन है. पुलिस के सूत्रों का कहना है कि मौलाना साद का क्वॉरन्टीन खत्म होने के बाद ही उससे पूछताछ की जाएगी. इसी बीच मरकज में हवाला के जरिए फंडिंग की बात भी सामने आई है.

नई दिल्ली: निजामुद्दीन मरकज मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. क्राइम ब्रांच के सूत्रों की मानें तो मरकज में फंडिंग हवाला के जरिये हो रही थी. पैसा सऊदी के अलावा कई और देशों से हवाला के जरिए आ रहा था ये सब 2005 के बाद शुरू हुआ. ये ही वजह भी है कि क्राइम ब्रांच ने अपने पहले नोटिस में मौलाना साद से मरकज की फंडिंग में बारे में पूछा था, बैंक की सारी डिटेल्स मांगी थी. अब क्राइम ब्रांच मरकज के हवाला कनेक्शन की भी जांच कर रही है.
बुधवार को भी क्राइम ब्रांच की टीम एक बार फिर मरकज के अंदर गई और एक बार फिर पूरे मरकज की तलाशी ली गई. क्राइम ब्रांच की टीम करीब 3 घंटे तक वहां पर रही. आसपास के लोगों से बात की गई. इसके अलावा क्योंकि आज MCD को मरकज का कूड़ा साफ करना था लिहाजा क्राइम ब्रांच की टीम ये देखना चाहती थी कि उस कूड़े में कुछ जरूरी सुबूत ना चले जाए इसलिए सब चेक हो जाने के बाद ही क्राइम ब्रांच में MCD को कूड़ा उठाने के लिए कहा.
निजामुद्दीन मरकज मामला इतना बड़ा नहीं होता अगर पुलिस समय रहते जाग जाती. ये मरकज इतना बड़ा है कि साल भर इस पर पुलिस की ही नहीं केंद्र की जो एजेंसियां है उनकी भी नज़र रहती है क्योंकि यहां पर विदेश से लोगों का आना जाना लगा रहता है. लेकिन शायद कहीं ना कहीं इस मामले में पुलिस से चूक हुई. सबसे बड़ा सवाल ये भी है कि मरकज निजामुद्दीन थाने से बिल्कुल सटा हुआ है. थाने के गेट से मरकज के गेट की दूरी महज 100 मीटर के करीब है. थाने का एक स्टाफ हमेशा मरकज के पास ही रहता है वजह है यहां पर विदेशी लोगों का हर सय यहां पर रहना उसके बाद भी इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई.
दिल्ली पुलिस के सूत्रों का ये भी कहना है कि इस पूरे मामले की जानकारी पुलिस के बड़े अधिकारियों के पास भी थी, इसके बावजूद भी पुलिस के सामने ही जमाती अपनी मर्जी से दूसरे राज्यों में जाते रहे.कही भी भीड़ नही होनी चाहिए. होली पर ही ये बात साफ हो चुकी थी कि इसके बावजूद भी पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया. जबकि मरकज में हज़ारों की संख्या में जमाती थे. आखिरकार पुलिस ने मरकज के लोगों के खिलाफ कोई कड़ी करवाई क्यों नहीं की.
16 मार्च को दिल्ली सरकार ने आदेश जारी कर दिया था, जिसमें ये कहा गया था कि 50 से ज्यादा लोग किसी एक जगह पर इकट्ठा नहीं हो सकते हैं. जब ये आदेश जारी किया गया था उस समय मरकज में करीब ढाई हज़ार लोग थे. इसके बाद भी पुलिस नहीं जागी. क्यों नहीं मरकज को खाली करवाया गया.
ये तमाम जानकारी पुलिस के आलाधिकारियों को भी थी. इसके बावजूद निजामुद्दीन थाने के एसएचओ ने मरकज के मौलवी को सिर्फ एक नोटिस थमा दिया. अंदर का बाकायदा वीडियो बनवाया गया जिसमे साफ देखा जा रहा था कि काफी लोग मरकज में मौजूद हैं. सूत्रों की मानें तो ये वीडियो बड़े अधिकारियों को भी दिया गया. यानी सारी जानकारी महकमे के बड़े लोगों को थी तब भी पुलिस नहीं जागी.
मरकज के लोगों को थाने में बुलाया कर समझाया गया उनका बाकायदा वीडियो भी बनवाया गया. लेकिन उसके बाद भी अगर वो नहीं माने तो फिर क्यों मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. अब भी जो FIR दर्ज की गई है उसके आदेश दिल्ली सरकार और LG की तरफ से दिए गए थे. 29 मार्च को मरकज को खाली करवाने का काम शुरू किया गया. अगर समय रहते पुलिस ने कार्रवाई की होती. यही अगर मरकज 16 मार्च के बाद भी खाली करवाया गया होता तो शायद देश में कोरोना के मामले इतने ज्यादा ना फैले होते.
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Source: IOCL





















