शराब नीति से लेकर बिजली सब्सिडी तक... दिल्ली सरकार के खिलाफ LG ने इन मामलों में दिए जांच के आदेश
Delhi Electricity Subsidy: दिल्ली में उपराज्यपाल (LG) बनाम केजरीवाल सरकार की लड़ाई और गहरा गई है. एलजी विनय कुमार सक्सेना ने सरकार की बिजली सब्सिडी योजना (Electricity Subsidy) की जांच के आदेश दिए

Delhi AAP Govt Vs LG: दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार (Arvind Kejriwal Govt) और उपराज्यपाल वीके सक्सेना (VK Saxena) के बीच तकरार जारी है. शराब नीति को लेकर जारी तल्खी अभी खत्म भी नहीं हुई है कि अब केजरीवाल सरकार के लिए बिजली सब्सिडी के मामले को लेकर मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. कथित शराब नीति घोटाला, बस खरीद घोटाला और सरकारी स्कूलों में गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति की जांच के घेरे में आने के बाद अब बिजली सब्सिडी का मामला तूल पकड़ता दिख रहा है.
देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में उपराज्यपाल (LG) बनाम आम आदमी पार्टी की लड़ाई और गहराती दिख रही है. एलजी विनय कुमार सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल सरकार की बिजली सब्सिडी योजना (Electricity Subsidy) की जांच के आदेश दिए हैं.
बिजली सब्सिडी मामले में जांच के आदेश
दिल्ली की बिजली सब्सिडी में कथित घोटाले का मसला राज्य सरकार की ओर से राजधानी में बिजली की आपूर्ति करने वाली कंपनियों को भुगतान से जुड़ा है. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आम आदमी पार्टी की सरकार की ओर से बीएसईएस डिस्कॉम को दी जाने वाली सब्सिडी में कथित अनियमितताओं की जांच करने के आदेश दिए हैं. इस मामले में 7 दिन के अंदर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है. वहीं, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि सभी जांच गैरकानूनी और असंवैधानिक है.
करीब 47 लाख लोगों को सब्सिडी
एलजी ने मुख्य सचिव से कहा है कि इस मामले की जांच हो कि जब 2018 में दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने सरकार से कहा था कि वो बिजली सब्सिडी को सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर करने पर विचार कर सकती है तो इसे लागू क्यों नहीं किया गया. राष्ट्रीय राजधानी में करीब 58 लाख घरेलू बिजली के उपभोक्ता हैं, जिनमें करीब 47 लाख लोग सब्सिडी लेते हैं. इनमें करीब 30 लाख ऐसे उपभोक्ता हैं जो 200 यूनिट से कम बिजली खपत करते हैं और उन्हें कोई बिजली बिल नहीं दिया जाता है. दिल्ली सरकार इसके लिए संबंधित कंपनियों को भुगतान करती है.
शराब नीति जांच के घेरे में आई
दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी (Delhi Excise Policy) उस वक्त जांच के घेरे में आ गई थी, जब दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने इसके क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. शराब नीति में कथित गड़बड़ी को लेकर ईडी की टीम ने पिछले महीने दिल्ली समेत देश के कई शहरों में छापेमारी की थी. बीजेपी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया था. एलजी ने इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, जिसके बाद कई जगहों पर तलाशी ली गई थी. दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया के घर की भी छानबीन की गई थी. सिसोदिया ने आरोप लगाया था कि बीजेपी केजरीवाल सरकार के अच्छे कामों को रोकने की कोशिश कर रही है.
डीटीसी बस खरीद मामले में जांच
दिल्ली के उपराज्यपाल ने डीटीसी (DTC) की ओर से 1,000 लो फ्लोर बसों की खरीद के दौरान कथित भ्रष्टाचार की जांच के आदेश दिए. इस मामले में अनियमितता की शिकायत के बाद इस केस को CBI जांच के लिए ट्रांसफर कर दिया गया. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि लो फ्लोर बीएस-4 और बीएस-6 बसों के लिए जुलाई में 2019 की खरीद बोली और फिर मार्च में 2020 में लो फ्लोर बीएस-6 बसों की खरीद और रखरखाव के कॉन्ट्रैक्ट के लिए लगाई गई बोली में कई अनियमितताएं हुईं. बीजेपी ने भी आरोप लगाया गया था कि बसों की खरीद बिल्कुल अवैध तरीके से की गई, जिसमें सामान्य वित्तीय नियमों की अनदेखी हुई. साथ ही सीवीसी गाइडलाइंस का भी पालन नहीं हुआ.
गेस्ट टीचर्स का मामला
दिल्ली के उपराज्यपाल ने केजरीवाल सरकार की ओर से संचालित स्कूलों में गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति के मामले में भी वित्तीय अनियमितता के जांच के आदेश दिए थे. इस मामले में उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को शिक्षा विभाग के डायरेक्टर को सलाह देने के लिए कहा था कि वो अपने स्कूलों में सरकार की ओर से नियुक्त सभी गेस्ट शिक्षकों की नियुक्ति, उनकी उपस्थिति और वेतन निकासी से संबंधित जानकारी की जांच करें. इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट भी सौंपने के लिए कहा गया था.
क्लासरुम मामले में भी जांच
दिल्ली के उपराज्यपाल (Delhi LG) वीके सक्सेना (VK Saxena) ने मुख्य सचिव से दिल्ली सरकार के स्कूलों में अतिरिक्त क्लासरुम निर्माण को लेकर रिपोर्ट मांगी थी. दरअसल सतर्कता विभाग की ओर से जारी एक रिपोर्ट में दिल्ली के स्कूलों में क्लासरूम (Class Room) के निर्माण में अनियमिताएं होने की बात कही गई थी. सतर्कता विभाग की रिपोर्ट में कहा गया था कि निर्माण लागत में करीब 90 फीसदी का इजाफा हुआ. वहीं इसके लिए कोई अलग से टेंडर नहीं निकाला गया. रिपोर्ट में कहा गया था कि बिना कोई टेंडर के दिल्ली सरकार ने 500 करोड़ रुपए तक आवंटित किए.
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Source: IOCL





















