US Predator Drones Deal: अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन डील की कीमत पर कांग्रेस (Congress) ने सवाल उठाए हैं. जिसपर केंद्र सरकार की ओर से बयान दिया गया है. रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने गुरुवार (29 जून) को कहा कि भारत ने अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन की डील की है. जिसकी कीमत को लेकर बातचीत शुरुआती चरण में है. प्रस्तावित औसत अनुमानित लागत यूएस से इसे खरीदने वाले अन्य देशों की तुलना में 27 प्रतिशत कम होगी. 


रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताया कि अब तक भारत को अमेरिका के रक्षा सहयोग कार्यालय से सांकेतिक मूल्य और डेटा प्राप्त हुआ है और खरीद प्रक्रिया की कीमत को अंतिम रूप देने से पहले बातचीत के विभिन्न चरणों से गुजरना पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर भारत ड्रोन संबंधी अतिरिक्त विशिष्टताएं नहीं मांगता, तो बातचीत के दौरान लागत के और नीचे जाने की संभावना है. 


भारत-यूएस ड्रोन डील 


अमेरिका निर्मित इन ड्रोन की सांकेतिक लागत 307.2 करोड़ अमेरिकी डॉलर है. अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक ड्रोन के लिए यह कीमत 9.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर बैठती है. उन्होंने ये भी कहा कि इस ड्रोन को रखने वाले कुछ देशों में से एक संयुक्त अरब अमीरात को प्रति ड्रोन 16.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना पड़ा. उन्होंने कहा कि भारत जिस एमक्यू-9बी को खरीदना चाहता है, वह संयुक्त अरब अमीरात के बराबर है, लेकिन बेहतर संरचना के साथ है. 


कांग्रेस ने उठाए हैं सवाल


अधिकारी के अनुसार, ब्रिटेन की ओर से खरीदे गए ऐसे सोलह ड्रोन में से प्रत्येक की कीमत 6.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर थी, लेकिन यह सेंसर, हथियार और प्रमाणन के बिना केवल एक हरित विमान था. सेंसर, हथियार और पेलोड जैसी सुविधाओं पर कुल लागत का 60-70 प्रतिशत हिस्सा खर्च होता है. कांग्रेस ने भारत-अमेरिका ड्रोन सौदे में पूरी पारदर्शिता की मांग की और आरोप लगाया कि 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर यूएवी ड्रोन ऊंची कीमत पर खरीदे जा रहे हैं. 


मोदी सरकार पर साधा निशाना


कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और प्रीडेटर ड्रोन सौदे पर कई संदेह उठाए जा रहे हैं. हम इस प्रीडेटर ड्रोन सौदे में पूरी पारदर्शिता की मांग करते हैं. भारत को महत्वपूर्ण सवालों के जवाब चाहिए. अन्यथा हम मोदी सरकार में हुए एक और घोटाले में फंस जाएंगे. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार राष्ट्रीय हितों को खतरे में डालने के लिए जानी जाती है और भारत के लोगों ने राफेल सौदे में भी यही देखा है, जहां मोदी सरकार ने 126 के बजाय केवल 36 राफेल जेट खरीदे. 


रक्षा मंत्रालय ने आरोपों को किया खारिज


रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कांग्रेस की ओर से किए गए दावों का खंडन किया और कहा कि ये एक पारदर्शी वन-टू-वन वार्ता है जिसमें भारत सीधे अमेरिका के साथ डील कर रहा है. जनरल एटॉमिक्स अपने विदेशी सैन्य बिक्री कार्यक्रम के तहत केवल अमेरिकी सरकार के माध्यम से भारत को हाई-टेक्नोलॉजी ड्रोन बेच सकता है. रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि ऐसा कोई भी हाई-टेक्नोलॉजी सौदा संघीय अधिग्रहण नियमों के तहत आता है और इसके लिए अमेरिकी संसद की मंजूरी की आवश्यकता होती है. 


31 ड्रोन का सबसे बड़ा ऑर्डर दिया


भारत जिन ड्रोनों को खरीदना चाहता है, वे भारी मात्रा में हथियार ले जा सकते हैं और बहुत ऊंची उड़ान भर सकते हैं. अधिकारियों ने कहा कि वे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हाई-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें खींच सकते हैं. जनरल एटॉमिक्स ने प्रीडेटर एमक्यू 9बी ड्रोन बेल्जियम, यूएई, ताइवान, मोरक्को सहित अन्य देशों को भी बेचे हैं. भारत ने सेंसर और हथियारों समेत सभी संबंधित उपकरणों से लैस 31 ड्रोन का सबसे बड़ा ऑर्डर दिया है. अधिकारियों ने कहा कि भारतीय नौसेना 2020 से ही दो एमक्यू 9बी ड्रोन का उपयोग कर रही है. इन्हें लीज पर लिया गया था.


पीएम मोदी के अमेरिका दौरे पर हुई डील


प्रधानमंत्री मोदी की यूएस की हालिया यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने ड्रोन सौदे पर मुहर लगाई थी, जिसे भारत को ड्रोन विनिर्माण का केंद्र बनाने के उनके प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है. अधिक ऊंचाई वाले एवं लंबे समय तक टिके रहने वाले ये ड्रोन 35 घंटे से अधिक समय तक हवा में रहने में सक्षम हैं और चार हेलफायर मिसाइल और लगभग 450 किलोग्राम बम ले जा सकते हैं. 


(इनपुट पीटीआई से भी)


ये भी पढ़ें- 


मणिपुर के रिलीफ कैंप में हिंसा प्रभावितों से मिले राहुल गांधी, काफिला रोके जाने पर हुआ विवाद तो बीजेपी ने किया पलटवार | 10 बड़ी बातें