Rahul Gandhi Defamation Case: मानहानि मामले में गुजरात हाई कोर्ट से राहत न मिलने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार (16 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया. उन्होंने हाई कोर्ट (Gujarat HC) के सात जुलाई के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि अगर उस आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो इससे स्वतंत्र भाषण, स्वतंत्र अभिव्यक्ति, स्वतंत्र विचार का दम घुट जाएगा.


गुजरात हाई कोर्ट ने मोदी सरनेम वाले आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने के अनुरोध वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका में कहा गया कि अगर याचिकाकर्ता को राहत नहीं दी गई तो वह अपने करियर के आठ साल गंवा देंगे. 


राहुल गांधी ने याचिका में क्या कहा?


राहुल गांधी ने अपनी याचिका में कहा कि अगर हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई तो ये लोकतांत्रिक संस्थानों को व्यवस्थित तरीके से, बार-बार कमजोर करेगा और इसके परिणामस्वरूप लोकतंत्र का दम घुट जाएगा, जो भारत के राजनीतिक माहौल और भविष्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक होगा. कांग्रेस नेता ने शिकायतकर्ता के दावे को खारिज किया कि उनके भाषण ने मोदी उपनाम वाले लोगों को बदनाम किया है. 


"वायनाड के लोगों का होगा नुकसान"


उन्होंने कहा कि वह एक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और मानहानि के मामूली आधार पर उन्हें सजा देने से निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को संसद में आवाज उठाने और देश के लोकतांत्रिक शासन में भाग लेने से रोका गया. उन्होंने कहा कि दोषसिद्धि और सजा पर रोक नहीं लगाने से वायनाड निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को महीनों तक प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से अपूरणीय क्षति होगी. 


सूरत की कोर्ट ने सुनाई थी 2 साल की सजा


राहुल गांधी को इस केस में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने बीती 23 मार्च को दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी. दरअसल, राहुल गांधी ने 2019 में कर्नाटक में एक चुनावी रैली के दौरान टिप्पणी की थी कि सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही क्यों होता है. इस टिप्पणी को लेकर गुजरात के बीजेपी के विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था. 


संसद की सदस्यता से हुए अयोग्य


कोर्ट से सजा मिलने के बाद राहुल गांधी को संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. वे 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल की वायनाड सीट से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के तहत, किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया और दो साल की सजा पाने वाला व्यक्ति सजा की अवधि और उसके बाद छह साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य रहेगा.


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