तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने गोदावरी और कृष्णा नदी के जल बंटवारे के मुद्दे पर विधानसभा में पारदर्शी और बहस की मांग दोहराई है. उन्होंने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) को चुनौती दी कि वे विधानसभा में तथ्यों और दस्तावेजों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करें. रेड्डी ने स्पष्ट किया कि वह सड़कों, प्रेस क्लब या पब में बहस नहीं चाहते, बल्कि यह मामला विधानसभा में उठना चाहिए.

हैदराबाद के प्रेस क्लब में रेड्डी की बहस की चुनौती स्वीकार

बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामाराव (केटीआर) ने मंगलवार 8 जुलाई को हैदराबाद के प्रेस क्लब में रेड्डी की बहस की चुनौती स्वीकार की थी, लेकिन मुख्यमंत्री के दिल्ली में होने के कारण वहां चर्चा नहीं हो सकी. केटीआर ने रेड्डी पर अपनी चुनौती से भागने और किसानों के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया. जवाब में, रेड्डी ने तंज कसते हुए कहा कि वह केटीआर का नाम लेकर अपना स्तर कम नहीं करेंगे. 

उन्होंने कहा, 'अगर बीआरएस गंभीर है तो केसीआर खुद बहस के लिए आए. यदि वे नहीं आ सकते तो कांग्रेस उनके फार्महाउस पर मॉक विधानसभा आयोजित करेगी, जिसमें हमारे नेता पूरी तैयारी के साथ हिस्सा लेंगे. अगर वे चाहें तो मैं भी उनके फार्महाउस पर बहस के लिए जाऊंगा.'

तेलंगाना के लिए 'मृत्यु वारंट' करार

रेवंत रेड्डी ने बीआरएस पर तेलंगाना के हितों को आंध्र प्रदेश को सौंपने का गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि 2015 में केसीआर और तत्कालीन सिंचाई मंत्री हरीश राव ने आंध्र प्रदेश के साथ एक समझौता किया, जिसके तहत कृष्णा नदी के 811 टीएमसी पानी में से तेलंगाना को केवल 299 टीएमसी मिला, जबकि आंध्र को 512 टीएमसी मिला. इसे उन्होंने तेलंगाना के लिए 'मृत्यु वारंट' करार दिया. साथ ही, गोदावरी नदी के 3,000 टीएमसी अतिरिक्त जल के उपयोग की अनुमति आंध्र को देने का भी आरोप लगाया.

रेड्डी ने दावा किया कि तेलंगाना कृष्णा नदी के 70% जल का हकदार है, क्योंकि इसका 70% बेसिन क्षेत्र तेलंगाना में है. उन्होंने आंध्र की पोलावरम-बनकचेरला परियोजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई की बात दोहराई और केंद्र व आंध्र सरकार से बातचीत के जरिए समाधान की अपील की.

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