Underworld Don Abu Salem: उत्तर प्रदेश के माफियाओं की चर्चाओं के बीच एक माफिया अबसे 40 साल पहले उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से निकल कर मुंबई (Mumbai) पहुंचा और अपनी दहशत कायम की. इस अंडरवर्ल्ड डॉन का नाम अब्दुल कयूम अंसारी उर्फ अबू सलेम (Abu Salem) है.


90 के दशक में मुंबई अंडरवर्ल्ड पर पांच गिरोहों का दबदबा था. दाऊद इब्राहिम, अमर नाईक, छोटा राजन और अरुण गवली के अलावा अबू सलेम नाम के माफिया डॉन की दहशत भी मुंबई में हुआ करती थी. बीते 18 सालों से अबू सलेम सलाखों के पीछे है लेकिन किसी न किसी कारण से वो अब भी खबरों में बना रहता है.


कैसे हुई दाऊद इब्राहिम के गिरोह के लोगों से पहचान?


अबू सलेम उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में सरायमीर गांव का रहने वाला था. करीब 20 साल की उम्र में वो काम की तलाश में मुंबई आया. 80 के दशक में उसने विले पार्ले इलाके में एक सार्वजनिक टेलीफोन बूथ पर काम करना शुरू किया. जल्द ही उसकी जान-पहचान दाऊद इब्राहिम के गिरोह के लोगों से हो गई. दाऊद के छोटे भाई अनीस ने उसे बतौर अपना ड्राइवर रख लिया.


दाऊद गिरोह की आय का जरिया स्मगलिंग के अलावा जबरन उगाही भी था. दाऊद, अनीस इब्राहिम और छोटा शकील वसूली के लिए बिल्डरों, बड़े व्यापारियों और फिल्मकारों को धमकी भरे फोन करते थे. जो पैसे नहीं देता उसे गोलियों से भून दिया जाता था. इसके अलावा दाऊद गिरोह अपने दुश्मन गिरोह जैसे अरुण गवली और छोटा राजन के गिरोह और के सदस्यों पर भी फायरिंग करवाता था. इस काम के लिए शूटरों की जरूरत पड़ती थी. अबू सलेम आजमगढ़ से ऐसे युवक डी कंपनी के लिए मुहैया कराता था जिनका मुंबई पुलिस के पास कोई आपराधिक रिकॉर्ड न हो और जो पांच-दस हजार रूपये के लिए भी गोली चलाने के लिये तैयार थे. उसकी उसकी इसी खूबी की वजह से दाऊद गिरोह में अबू सलेम का कद बड़ी ही तेजी से बढ़ा. दाऊद ने उसे फिल्मी हस्तियों से वसूली की जिम्मेदारी सौंप दी.


संजय दत्त के घर पहुंचाईं AK-47


अबू सलेम डी कंपनी की ओर से तैयार की गई 12 मार्च 1993 कि मुंबई सीरियल बम कांड इस साजिश में भी शामिल रहा. डी कंपनी को उम्मीद थी की बम कांड के बाद शहर में फिर एक बार दंगे भड़क जाएंगे उन दंगों में इस्तेमाल करने केलि ए दाऊद में बड़े पैमाने पर हथियारों का जखीरा मुंबई भिजवाया था. अनीस इब्राहिम के कहने पर उसी जखीरे में से अबू सलेम ने 3 AK-47 राइफल और रिवॉल्वर फिल्म स्टार संजय दत्त के बांद्रा स्थित घर में पहुंचा दिए. जब तक मुंबई पुलिस पूरी साजिश का खुलासा कर पाती तब तक सलेम दुबई भाग चुका था लेकिन मुंबई पुलिस ने इस मामले में टाडा के तहत संजय दत्त को गिरफ्तार कर लिया.


दुबई में दाऊद के साथ काम करते-करते अबू सलेम में महत्वकांक्षी जगी कि वो अपना खुद का गिरोह बनाए. कई बार वह दाऊद को बिना बताए जबरन उगाही के लिए मुंबई में फोन करने लगा. इस बीच अगस्त 1997 मे टी सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की मुंबई के ओशिवारा इलाके में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई. मुंबई पुलिस का कहना था कि हत्या अबू सलेम ने करवाई थी.


अबू सलेम के घर पर हमला


गुलशन कुमार की हत्या अबू सलेम के आपराधिक कैरियर का टर्निंग प्वाइंट था. सलेम पर आरोप था कि उसने ये हत्या दाऊद इब्राहिम की जानकारी और उसकी मर्जी के बगैर करवाई थी. इस मामले से गुस्साए अनीस इब्राहिम ने दुबई में उनके साथियों के साथ अबू सलेम के घर पर हमला कर दिया लेकिन अबू सलेम को पहले से ही की भनक लग चुकी थी. इसलिए वह अनीस के आने से कुछ देर पहले ही दुबई से निकल भागा.


दुबई से निकलने के बाद अबू सलेम अमेरिका और यूरोप के कई देशों में भटकता रहा और वहीं से अपने गिरोह को चलाता रहा. उसके इशारे पर मुंबई के मशहूर बिल्डर प्रदीप जैन की उनके दफ्तर में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई. उस पर अभिनेत्री मनीषा कोइराला के सेक्रेटरी अजीत दीवानी को भी मरवाने का आरोप लगा. मुंबई बम कांड सहित इन तमाम आपराधिक मामलों में मुंबई पुलिस अबू सलेम को तलाश रही थी और उसके खिलाफ इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस भी निकाला गया.


मोनिका बेदी से अबू सलेम का रिश्ता


इस बीच अबू सलेम को बॉलीवुड की अभिनेत्री मोनिका बेदी से इश्क हो गया. मोनिका बेदी यूरोप के देश नॉर्वे की रहने वाली थी और मुंबई आकर फिल्मों में काम करती थी. सलेम ने नॉर्वे के ड्रमन शहर में जाकर मोनिका बेदी के पिता प्रेमकुमार बेदी से मुलाकात की और कहा कि वो हिंदू है और अपना नाम संजय बताया. उसने मोनिका बेदी से शादी कर ली. मोनिका उसकी दूसरी बीवी थी वो समीरा नाम की एक महिला के साथ पहले शादी कर चुका था जो अमेरिका में रहती थी.


साल 2002 में उसे और मोनिका को पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में स्थानीय पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से देश में रहने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. सीबीआई उसको प्रत्यर्पित कराने के लिए लिस्बन पहुंची लेकिन अबू सलेम ने पुर्तगाल की अदालत में अपने प्रत्यर्पण को चुनौती दी. करीब तीन साल तक चले मुकदमे के बाद नवंबर 2005 में उसे और मोनिका बेदी को प्रत्यर्पित करके सीबीआई मुंबई लाई.


25 साल से ज्यादा जेल की सजा


अबू सलेम भारत तो आ गया लेकिन उसे प्रत्यर्पित करते वक्त पुर्तगाल की अदालत ने भारत सरकार पर कई कड़ी शर्तें लाद दी. एक शर्त ये थी कि सलेम पर किसी भी मामले में दोष सिद्ध होने पर फांसी की सजा नहीं होगी. उसे 25 साल से ज्यादा जेल की सजा नहीं सुनाई जा सकती और जिन 7 मामलों की लिस्ट सीबीआई ने पुर्तगाल की अदालत को सौंपी थी उनके अलावा किसी भी मामले में सलेम पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.


अबू सलेम को बिल्डर प्रदीप जैन और मुंबई बमकांड के मामलों में उम्र कैद की सजा सुनाई गई. दिल्ली, लखनऊ और हैदराबाद में दर्ज मामलों में भी उसे कई साल जेल की सजा हुई. अबू सलेम फिलहाल नवी मुंबई की तलोजा जेल में है. जेल के भीतर दो बार उस पर जान लेने के इरादे से हमले भी हो चुके हैं. अगर वो जीवित रहता है तो उम्र कैद की सजा पाने के बावजूद प्रत्यर्पण की शर्त के मुताबिक 2030 तक जेल से रिहा हो जाएगा.


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