Biparjoy Cyclone Update: अरब सागर में आया शक्तिशाली चक्रवात बिपरजॉय (Biparjoy) गुरुवार (15 जून) को गुजरात (Gujarat) के कच्छ जिले में जखाऊ तट से टकराया. जिसकी वजह से सैकड़ों पेड़ उखड़ गए, बिजली के खंभे गिर गए और कई घरों को नुकसान पहुंचा. हालांकि अब तक तूफान से एक भी व्यक्ति की मौत की खबर नहीं आई है. इस भयंकर तूफान से निपटना इतना आसान नहीं था. इसकी जद में हजारों लोग थे और सरकार का लक्ष्य सभी को बचाने का था.


इसको लेकर केंद्र और राज्य सरकारें सचेत थीं और हफ्ते भर से तैयारियां चल रही थीं. इस तूफान की आहट के बाद जून 1998 में गुजरात में आए विनाशकारी चक्रवात की यादें ताजा होने लगी थीं. जिसमें 10,000 लोग मारे गए थे और कांडला बंदरगाह पूरी तरह से तबाह हो गया था. इस बार राज्य में कम से कम नौ उच्च जोखिम वाले जिलों से एक लाख लोगों की निकासी की निगरानी की गई. 


नौ जिलों में नौ मंत्रियों को किया तैनात


एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गुजरात के नौ जिलों में तैयारियों का जायजा लेने के लिए प्रत्येक जिले में केंद्र और राज्य के एक-एक मंत्री की तैनाती की गई थी. एनडीटीवी के अनुसार, लोगों के रेस्क्यू के लिए एक सप्ताह पहले नौ मंत्रियों और नौ नौकरशाहों को शामिल करते हुए एक समन्वित प्रयास किया गया. ताकि लोगों को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध करवाई जा सकें. इस दौरान कच्छ और अन्य तटीय क्षेत्रों में मवेशियों की सुरक्षा के लिए भी प्रयास किए गए.  


चक्रवात के दौरान था शून्य जानहानि का लक्ष्य


चक्रवात के दौरान शून्य जानहानि के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए प्राथमिक उद्देश्य तट के 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजना था. तट से पांच किलोमीटर और पांच से 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों की संख्या का पता लगाने के लिए विस्तृत योजना बनाई गई थी. कच्छ जिले में अकेले 122 गांवों की पहचान की गई जो तट से 10 किलोमीटर के दायरे में आते थे जिनमें से 72 गांव तट से पांच किलोमीटर के दायरे में आ रहे थे. 


पीएम मोदी ने मन की बात में किया जिक्र


इस तूफान के दौरान कोई मौत न होने पर गुजरात सरकार ने चक्रवात को लेकर की गई सटीक भविष्यवाणियों और शुरुआती तैयारियों को श्रेय दिया. इतने भयंकर चक्रवात के दौरान कोई हताहत नहीं होने का रिकॉर्ड राज्य और केंद्र के लिए एक उपलब्धि है. पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार सुबह अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में इसका जिक्र करते हुए सरकार और लोगों के प्रयास की तारीफ की. 


"तबाही से जल्द उबर जाएंगे लोग"


उन्होंने कहा कि बीतों वर्षों में भारत ने आपदा प्रबंधन की जो ताकत विकसित की है, वह आज एक मिसाल बन रही है. चक्रवात बिपरजॉय ने कच्छ में कितना कुछ तहस-नहस कर दिया, लेकिन कच्छ के लोगों ने जिस हिम्मत और तैयारी के साथ इतने खतरनाक चक्रवात का मुकाबला किया, वह भी उतना ही अभूतपूर्व है. आत्मविश्वास से भरे कच्छ के लोग चक्रवात बिपरजॉय से हुई तबाही से जल्द उबर जाएंगे. 


चक्रवात को लेकर आईएमडी की भविष्यवाणी आते ही तैयारी शुरू हो गई थीं और 11 जून को गुजरात सरकार ने हर जिले में एक मंत्री को नियुक्त किया था. चक्रवात की भयावहता का बारे में पता चलने के बाद केंद्रीय मंत्रियों को भी सौराष्ट्र के गिर-सोमनाथ, पोरबंदर, जूनागढ़, जामनगर, कच्छ और उसके आसपास के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों का जिम्मा सौंपा गया. 


किस मंत्री को कहां का जिम्मा सौंपा?


स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को सबसे अधिक प्रभावित कच्छ में भेजा गया, जबकि मत्स्य और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला को द्वारका में तैनात किया गया. आईटी राज्य मंत्री देवसिंह चौहान को जामनगर भेजा गया, जबकि रेलवे राज्यमंत्री दर्शन जरदोश को पोरबंदर और राज्यमंत्री महेंद्र मुजंजापुरा को गिर-सोमनाथ भेजा गया. पीएम मोदी ने खुद तैयारियों का जायजा लिया और कई बार मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से भी बात की. ताकि न सिर्फ राज्य के लोगों की बल्कि मवेशियों और गिर के शेरों की भी सुरक्षा की तैयारियां सुनिश्चित की जा सकें. 


सबसे पहले करने थे ये काम


मंत्रियों को जो जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं उनमें जिला प्रशासन से शेल्टर होम चिन्हित करवाना, एक लाख से अधिक लोगों की निकासी सुनिश्चित करना, शेल्टर होम में खाना, पानी, दूध पाउडर, दवाइयां और यहां तक कि पालने जैसी जरूरी चीजों की व्यवस्था करवाना शामिल था. इसके अलावा 4317 होर्डिंग्स को हटाया गया और 3,37,890 पेड़ों की छंटाई की गई ताकि उनसे होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.


राज्य भर में एनडीआरएफ की 19 और एसडीआरएफ की 13 टीमों की तैनाती की गई. जखाऊ, मूंदड़ा, कांडला और मांडवी बंदरगाहों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की गई थी. ये बंदरगाह देश के कार्गो और लॉजिस्टिक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. चक्रवात को देखते हुए बंदरगाहों की गतिविधियों रोक दिया गया था और मजदूरों को अलग-अलग शेल्टर होम में ले जाया गया. 


गुजरात के मुख्यमंत्री ने लगातार की निगरानी


जिला प्रशासन, राज्य सरकार, केंद्र सरकार और इसके साथ सेना, वायु सेना, नौसेना, तटरक्षक बल, बीएसएफ और सभी केंद्रीय एजेंसियों को भी बैठकों का हिस्सा बनाया गया. गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने तैयारियों की समीक्षा के लिए नौ बैठकों की अध्यक्षता की, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने दो बैठकों की अध्यक्षता की. शाह ने शनिवार को प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वे भी किया और शेल्टर होम में गर्भवती महिलाओं, बच्चों और किसानों से भी मुलाकात की. 


लगभग 4000 घर हुए क्षतिग्रस्त, 707 बच्चों का हुआ जन्म


लगभग 1,08,208 लोगों को निकालकर नौ जिलों में स्थानांतरित किया गया. आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, लगभग 4000 घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और लोगों को उनके पुनर्निर्माण में मदद करने के प्रयास शुरू हो गए हैं. एक अधिकारी ने कहा कि करीब 649 सड़कें प्रभावित हुई हैं, 624 चालू हैं और 25 सड़कों पर पेड़ों को हटाने का काम चल रहा है. चक्रवात को देखते हुए लगभग 1,152 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित चिकित्सा केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया. इनमें से 707 महिलाओं ने अपने बच्चों को चिकित्सा केंद्रों में जन्म दिया. 


मवेशियों की भी थी चिंता


सरकार को इस चक्रवात के मद्देनजर मवेशियों की भी चिंता थी. अकेले कच्छ जिले में दो लाख से अधिक मवेशी हैं और इनमें से अधिकांश तटीय क्षेत्रों में हैं. अधिकारी ने कहा कि चक्रवात के खतरे के कारण हमें उन्हें ऊंचे इलाकों में ले जाना था और उनके चारे की व्यवस्था करनी थी. उन्हें खुली जगहों पर रखना था और लोगों को समझाना भी था. आईएमडी की सेंट्रल टीम ने सभी एजेंसियों और अधिकारियों को समय पर चक्रवात से जुड़ी इनपुट दी. 


इस तूफान में किसी की जान तो नहीं गई, लेकिन सैकड़ों घरों को नुकसान पहुंचा है जिन्हें फिर से बनाना होगा. कच्छ ने अतीत में भूकंप से लेकर चक्रवात तक कई आपदाएं देखी हैं और एक बार फिर यहां के लोगों को फिर से हिम्मत दिखाते हुए खड़ा होना होगा. अधिकारियों ने कहा कि तूफान से बिजली कंपनी को व्यापक वित्तीय नुकसान हुआ है, जिसमें 5,120 बिजली के खंभे क्षतिग्रस्त हो गए हैं. ट्रांसमिशन को बहाल करने का काम जल्द ही शुरू होगा. 


20 जून तक बिजली हो जाएगी बहाल


अमित शाह ने कहा है कि 20 जून तक पूरे चक्रवात प्रभावित क्षेत्र में बिजली बहाल कर दी जाएगी. कम से कम 4,600 गांवों में बिजली चली गई थे, लेकिन 3,580 गांवों में बिजली की आपूर्ति बहाल कर दी गई. लगभग 4,000 घर क्षतिग्रस्त हो गए और लोगों को उनके पुनर्निर्माण में मदद करने के प्रयास शुरू हो गए हैं. 


(इनपुट पीटीआई से भी)


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