मुंबई: आज के कोरोना काल में वैक्सीन की डोज़ संजीवनी से कम नहीं है और हर किसी को वैक्सीन की डोज़ लेना अनिवार्य है. वैक्सीन लगाने के बाद एक सर्टिफिकेट दिया जाता है,  जिससे ज़रूरत पड़ने पर आप इसे दिखाकर बता सकें कि आपको वैक्सीन की डोज़ लग चुकी है. हालांकि, कई लोगों को सोशल मीडिया जैसे कि ट्विटर, फेसबुक या दूसरी साइट्स पर अपनी पर्सनल जानकारी साझा करने की आदत होती है और इसी सबका फायदा सायबर क्रिमिनल्स लेते हैं. 


महाराष्ट्र सायबर सेल के एसपी संजय शिंत्रे ने बताया कि इस तरह से अपनी डिटेल्स डालना खतरनाक है. शिंत्रे ने बताया कि वैक्सीन डोज़ मिलने के बाद जो सर्टिफिकेट मिलता है, उसपर आपकी निजी जानकारी होती है. यह जानकारी सायबर क्रिमिनल डार्क नेट पर बेच सकते हैं या फिर उसमे एडिटिंग कर किसी और को बेच सकते हैं. 


इस सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर आप एक जगह से दूसरी जगह यात्रा कर सकते हैं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यात्रा कर सकते हैं. कई ऐसी भी कंपनी हैं जो लोगों को तभी नौकरी पर बुलाती हैं जब आपके पास वैक्सीन लगाए होने का सर्टिफिकेट होता है. ऐसे में ये सायबर क्रिमिनल आपकी जानकारी को एडिट कर ऐसे लोगों को बेच सकते हैं. 


इसके अलावा हमने कुछ दिनों पहले एक क्राइम रजिस्टर किया था, जिसमें आरोपी सिप्ला कंपनी के नाम का इस्तेमाल कर दवाई बेचने के नाम और लोगों की ठगी करते थे. हमें जांच के दौरान पता चला कि ये आरोपी ठगी कर पैसे पाने के लिए 40 फर्जी बैंक अकाउंट और लोगों को संपर्क करने के लिए 40 फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहे थे. 


शिंत्रे ने बताया कि आपके सर्टिफिकेट पर जो जानकारी है उसका इस्तेमाल कर सायबर क्रिमिनल फर्जी दरस्तावेज भी बना सकते हैं, जिसका इस्तेमाल कर वे बैंक अकाउंट खोल सकते हैं और सिमकार्ड खरीद सकते हैं. 


इसी विषय पर लोगों को सतर्क करने के लिए सायबर पुलिस ने एडवाइजरी भी जारी की है. अंकुर पुराणिक सायबर एक्पर्ट ने बताया कि वैक्सीन के सर्टिफिकेट का दुरुपयोग हो सकता है. पुराणिक ने बताया कि कई बार पहली डोज़ मिलने के बाद सर्टिफिकेट मिलता है, जिसपर दूसरी डोज़ कब मिलेगी इसके बारे में बताया जाता है. अगर यह सर्टिफिकेट सायबर फ्रॉड के हाथ लगी तो वो आपको फोन कर तारीख बदल दी गयी या फिर बदलना पड़ेगा जैसे बातें कर आपको ठगने की भी कोशिश कर सकता है. 


अगर आपको पोस्ट करने का इतना ही मन है तो आपको उसे ब्लर करके पोस्ट करना चाहिए ताकि उसकी डिटेल कोई पढ़ न सके और अगर वो पढ़ नही पायेगा तो उसका दुरुपयोग भी नहीं हो पायेगा.