सेना को लंबे इंतजार के बाद आखिरकार स्वदेशी क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन मिलने का रास्ता साफ हो गया है. सेना ने इसके लिए कल्याणी स्ट्रैटजिक सिस्टम और अडानी की पीएलआर सिस्टम संग 4.25 लाख कार्बाइन के लिए करार किया है. इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और भारत फोर्ज ने भारतीय सशस्त्र सेना के लिए संयुक्त रूप से विकसित किया है.
CQB कार्बाइन को खास तौर से अर्बन वॉरफेयर और आतंकवाद-विरोधी अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है. स्वदेशी क्लोज क्वार्टर बैटल को डीआरडीओ की आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट पुणे ने डिजाइन किया है और यह निजी क्षेत्र की भारत फोर्ज के साथ मिलकर विकसित की गई है.
कितना आसान है इसका इस्तेमालये कार्बाइन खास तौर पर क्लोज रेंज कॉम्बैट काउंटर टेरर ऑपरेशन, बिल्डिंग में छिपे आतंकियों से मुठभेड़, भीड़ वाले या शहरी क्षेत्रों में ऑपरेशन के लिए ही डिजाइनिंग की गई है. हल्की होने की वजह से इसे चलाना सामान्य असॉल्ट राइफल के मुकाबले ज्यादा आसान है. स्वदेशी क्लोज क्वार्टर बैटल की खासियतस्वदेशी क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन में छोटी बैरल है और इसमें मॉडर्न एर्गोनॉमिक फीचर्स इस्तेमाल किया गया है. इस कारण ये भीड़भाड़ वाली जगहों पर भी आसानी से इस्तेमाल की जा सकती है. इसमें रैपिड फायर के लिए 30 राउंड की घुमावदार मैगजीन लगाई गई है. इसका वजन लगभग 3.3 किलो है. इसकी 200 मीटर तक की रेंज इसे बहुत घातक बनाती है. इस कार्बाइन से नाटो-स्टैंडर्ड (NATO-standard) और इंसास ( INSAS ammunition) दोनों तरह की गोलियां दागी जा सकती हैं.
CQB कार्बाइन में फोर्ज्ड स्टील टेक्नोलॉजी और मेटल इंजेक्शन मोल्डिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जो इसकी मारक क्षमता को भरोसेमंद और सटीक बनाती है. इसे जवानों के लिए बहुत ही शक्तिशाली हथियार माना जा रहा है, जो अलग-अलग तरह की गोलियों के इस्तेमाल में सक्षम होने की वजह से इसे सबसे अलग बनाती है.
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