भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता शनिवार (25 अक्टूबर, 2025) को वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार की ओर से केंद्र की प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री) योजना के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के विरोध में सामने आए और समझौते को रद्द करने की मांग की.

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केरल में सत्तारूढ़ एलडीएफ की प्रमुख सहयोगी भाकपा ने इस मुद्दे पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और राज्य सरकार के समक्ष अपनी असहमति पहले ही व्यक्त कर दी है. भाकपा केंद्रीय समिति के सदस्य प्रकाश बाबू ने कहा कि सरकार को समझौता ज्ञापन (एमओयू) से पीछे हट जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'यह एक राजनीतिक मांग है कि राज्य सरकार पीएम श्री से पीछे हट जाए.'

भाकपा मंत्रियों ने पहले ही जताया था विरोध

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उन्होंने कहा, ‘शिक्षा मंत्री का यह बयान कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू नहीं की जाएगी, गलत है. पीएम श्री एमओयू में एनईपी का क्रियान्वयन पहली शर्त है.' उन्होंने कहा कि एमओयू को रद्द करने के प्रावधान हैं. केंद्र सरकार को नोटिस देकर एमओयू रद्द किया जा सकता है. इसे रद्द करने के लिए अन्य शर्तें भी बताई गई हैं. इस संबंध में केवल एक राजनीतिक निर्णय की आवश्यकता है.

भाकपा मंत्री जे चिंचू रानी ने कहा कि पीएम श्री योजना पर राज्य मंत्रिमंडल में दो बार चर्चा हुई थी और भाकपा मंत्रियों ने इसका विरोध किया था. उन्होंने कहा, 'हमें नहीं पता कि बाद में इसे कैसे आगे बढ़ाया गया और किसने समझौते पर हस्ताक्षर किए. हमारी पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक 27 अक्टूबर को होगी, जहां आगे का फैसला लिया जाएगा.'

भाकपा ने बताया क्यों कर रहे विरोध?

उन्होंने कहा कि भाकपा के मंत्रियों और नेताओं को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बारे में मीडिया के माध्यम से ही पता चला. उन्होंने कहा, 'हमने पहले ही स्पष्ट रूप से कहा था कि पीएम श्री योजना को लागू नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की विचारधारा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. हम इससे सहमत नहीं हैं.'

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