देश मे कोरोना टीकाकरण को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं. यहां तक कि ये मुद्दा राजनीतिक रूप तक ले चुका है. राज्य केंद्र पर कम वैक्सीन सप्लाई का आरोप भी लगा रहे हैं और कई राज्यों मॆं टीकाकरण रोकना तक पड़ा. अब असम में टीकाकरण को लेकर नई समस्या सामने आई है. वहां टीके की कमी का असर अब दूसरी डोज लेने वालों पर भी पड़ रहा है.


कमी की वजह से रोकी पहली डोज


असम में वैक्सीन सप्लाई की कमी की वजह से वहां पहली डोज लगाना रोक दिया गया है जिसका तर्क ये दिया जा रहा है कि अब राज्य के पास जितनी वैक्सीन है वो पहले उन लोगो को लगेगी जो पहली डोज ले चुके हैं. ऐसा निर्णय ये कहते हुए लिया गया है कि दूसरी डोज लगने की समय सीमा खत्म होने के बाद भी बड़ी संख्या में दूसरी डोज नहीं दी जा सकी है.


दूसरी डोज को लोग काट रहे हैं चक्कर


असम के गुवाहाटी में लोगों को कहना कि पांच दिनों से चक्कर लगाने के बाद भी उनको दूसरी डोज़ नहीं मिल पाई है. ऐसी शिकायत और भी कई लोगों ने की है और उनका कहना है कि “राज्य में इस समय कोरोना वैक्सीन की भारी कमी है”. लोगों का कहना है कि पहली और दूसरी डोज़ में 42 दिन का अंतर है और हम वो एक दिन पहले ही पार कर चुके हैं.


प्राइवेट अस्पतालों का खर्च नहीं उठा सकते लोग


इस बीच खबर ये भी है कि गुवाहाटी के प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन का स्टॉक तो है लेकिन उसके लिए तय 1200 रुपये देना कई के लिए नामुमकिन ही है. वहीं जोरहाट के एक निवासी का कहना है कि उसके माता पिता को दूसरी वैक्सीन सरकारी अस्पताल में कमी की वजह से नहीं लगी लेकिन वो प्राइवेट अस्पताल में पैसे देकर भी लगवा सकता है लेकिन अफसोस की जोरहाट के प्राइवेट अस्पताल में वैक्सीनेशन की सुविधा नहीं है.


समस्या से निपटने को सरकार ने ये कदम उठाया


राज्य में वैक्सीन सप्लाई कम है ये बात राज्य सरकार का स्वास्थ्य विभाग भी मानता है इसिलिए समस्या से निपटने के लिए वो एक योजना अमल में ला रहे हैं. असम स्वास्थ्य सेवा विभाग के निदेशक मुनिन्दर नाथ नागटे का कहना कि “हमने उन लोगों का डाटा तैयार किया जो 45 आयु वर्ग के हैं और उनको पहली डोज दी जा चुकी है और उनकी दूसरी डोज़ की डेडलाइन निकल गई और उनकी दूसरी वैक्सीन नहीं लग पाई तो हम 18-44 आयु वर्ग को मिलने वाली वैक्सीन का इस्तेमाल दूसरी डोज लगाने में शामिल करेंगे”.



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