कोवैक्सीन के नाम से कोविड-19 वैक्सीन बनानेवाली भारत बायोटेक ने भारत सरकार के बयान से किनारा कर लिया है. उसने खुलासा किया कि कोरोना वायरस के वेरिएन्ट्स के खिलाफ वैक्सीन के असरदार होने के बारे में उसके पास 'अभी जानकारी' नहीं है. गौरतलब है कि कुछ हफ्ते पहले भारत सरकार ने कहा था कि स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सीन कोरोना में आए बदलाव के खिलाफ प्रभावी है. ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन की तरफ से आयोजित सालाना कार्यक्रम के एक सत्र में भारत बायोटेक के चेयरपर्सन कृष्णा एल्ला ने बताया कि डबल म्यूटेंट कोरोना वायरस मामलों की वर्तमान वृद्धि को आगे ले जा रहा है.

  


क्या कोवैक्सीन कोरोना के वेरिएन्ट्स के खिलाफ है असरदार?


ये बयान सरकार के बयान के ठीक विरोधाभासी है जो वेरिएन्ट्स के खिलाफ कोवैक्सीन के असरदार होने के बारे में कहती रही है. मार्च में स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने संसद को बताया था, "कोवैक्सीन के संरचना को बदलने की जरूरत वेरिएन्ट्स के खिलाफ वैक्सीन के अच्छे प्रभाव को देखते हुए अभी महसूस नहीं की गई है." हाल ही में अधिकारियों के हवाले से ये खबर आई थी कि कोवैक्सीन ब्रिटिश और ब्राजीलियन दोनों वेरिएन्ट्स के खिलाफ असरदार है.


डॉक्टर एल्ला ने एक पोर्टल को दिए इंटरव्यू में कहा, "मैं दक्षिण अफ्रीकी वेरिएन्ट के बारे में अभी तक नहीं जानता हूं, लेकिन भारतीय डबल म्यूटेंट की बात की जाए, तो हमारे पास जानकारी नहीं है, हमारे पास डेटा करीब एक सप्ताह में होगा." उन्होंने बताया कि अगर सरकार को लगता है कि डबल म्यूटेंट एक महत्वपूर्ण वैक्सीन उम्मीदवार हो सकता है, तब ये नियामक है, सरकार को फैसला लेना है न कि निर्माता को. उन्होंने कहा कि फैसला सरकार की तरफ से आएगा.


भारत सरकार के बयान से वैक्सीन निर्माता कंपनी ने झाड़ा पल्ला


उनसे पूछा गया कि क्या इसका मतलब है कि हमें अभी इंतजार करना होगा डेटा का ये देखने के लिए कि क्या वैक्सीन डबल म्यूटेंट के खिलाफ असरदार है. डॉक्टर एल्ला ने जवाब दिया, "मैं नहीं चाहता कि लोग मुझे ये कह कर परेशान करें कि आपने एक सप्ताह कहा.....उसके लिए समय लगता है. हम उसके बारे में बहुत गंभीर हैं, हमें नियामक लोगों को कैसे रखना और तेजी से स्ट्रेन को बदलना चाहिए? हम एक ऐसी वैक्सीन नहीं चाहते जो काम न करे."


कोरोना के नए वेरिएन्ट B.1.617 का शुरुआती स्तर पर भारत में दो म्यूटेशन के साथ पता लगाया गया. पहली बार भारत में एक वैज्ञानिक के जरिए पिछले साल बताया गया और हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास ज्यादा जानकारी पेश कर दी गई है. पिछले महीने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहली बार डबल म्यूटेंट की मौजूदगी को स्वीकार किया था. तब से लेकर डबल म्यूटेशन ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका समेत 10 मुल्कों में पाया गया है. 


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