FIR Against Udhayanidhi Stalin: बैंगलुरु मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने शुक्रवार (2 फरवरी) को बड़ा फैसला सुनाया. अदालत ने तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन और तीन अन्य के खिलाफ कथित तौर पर सनातन धर्म का अपमान करने के लिए आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश दिया. स्टालिन के अलावा, कोर्ट ने तमिल लेखक एस वेंकटेश, तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स एंड आर्टिस्ट असोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष मधुकर रामलिंगम और असोसिएशन के सचिव अदावन दिचन्या के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं.


आपराधिक मामला शुरू करने के भी आदेश


यही नहीं, अदालत ने पुलिस अधिकारियों से आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 (दंगा भड़काने के लिए उकसाना), 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और 500 (मानहानि) के तहत आपराधिक मामला शुरू करने का भी आदेश दिया है.


अब 4 मार्च को होगी अगली सुनवाई 


विशेष (मजिस्ट्रेट) अदालत के न्यायाधीश जे. प्रीथ ने वी. परमेश की ओर से दायर एक याचिका पर विचार करने के बाद ये आदेश दिए. अब इस मामले में अगली सुनवाई सुनवाई 4 मार्च को होगी. याचिकाकर्ता के वकील अधिवक्ता धर्मपाल थे.


क्या है पूरा मामला


दरअसल, 2 सितंबर 2023 को चेन्नई में तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स आर्टिस्ट असोसिएशन की ओर से आयोजित एक सम्मेलन में उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि कुछ चीजों का न केवल विरोध किया जाना चाहिए बल्कि उन्हें खत्म किया जाना चाहिए. जैसे डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना वायरस को खत्म करने की जरूरत है, वैसे ही हमें सनातन को खत्म करना होगा. उदयनिधि स्टालिन के इस विवादित बयान से जुड़ी यह खबर सबसे पहले कन्नड़ अखबार विजया थरंगा ने दी थी. इसके बाद यह मीडिया और सोशल मीडिया में फैल गई. स्टालिन के बयान के बाद एक निजी शिकायत दर्ज कराई गई.


मद्रास हाई कोर्ट में भी लंबित हैं कई याचिकाएं


स्टालिन ने बाद में स्पष्ट किया था कि सनातन धर्म पर उनका बयान हिंदू धर्म या हिंदू जीवन शैली के खिलाफ नहीं था, बल्कि केवल जाति आधारित भेदभावपूर्ण प्रथाओं को समाप्त करने का आह्वान था. वहीं, स्टालिन को मंत्री पद से हटाने की मांग को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय में भी कई याचिकाएं लंबित हैं.


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