मुंबई: कोरोना वैक्सीनेशन के 'ब्लू प्रिंट' के बाद अब बीएमसी की 500 टास्क फोर्स टीमें तैयार हैं. बीएमसी द्वारा गठित की गई मास्टर्स ट्रेनर्स की टीमें स्पेशलिस्ट्स, डॉक्टर्स और नर्सों की 500 टीमों को वैक्सिनेशन की ट्रेनिंग दे रहे हैं. वैक्सीन आने पर किस तरह लोगों को ये मिलेगी इस पर तेजी से काम हो रहा है. महामारी से लड़ने के लिए एक तरफ जहां देश में कई वैक्सीन कंपनियों ने वैक्सीन के इमेरजेंसी इस्तेमाल की सरकार से इजाज़त मांगी है, तो वहीं वैक्सीन कब और कैसे लोगों को लगाई जाएगी, इसको लेकर भी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं.


लंबे वक़्त तक कोरोना कैपिटल रही मुंबई को कोरोना मुक्त कैसे किया जाए, यानी लोगों को वैक्सीन कैसे दी जाएगी इसकी ट्रेनिंग की शुरुआत मुम्बई महानगर पालिका द्वारा की जा चुकी है. वैक्सीनेशन की प्रक्रिया के लिए बीएमसी द्वारा तैयार की गई 500 टीमों को आखिर किस तरह से ट्रेनिंग दी जा रही है, ये जानने के लिए एबीपी न्यूज़ ट्रेनिंग रूम पहुंचा और उन मास्टर ट्रेनर्स से मुलाकात की, जो 500 टीमों को ट्रेनिंग दे रहे हैं.


बीएमसी के F South वार्ड में बीएमसी के कई हेल्थ स्टाफ मौजूद हैं. ये सभी मास्टर ट्रेनर्स हैं, जिन्हें आगे जाकर बीएमसी द्वारा तैयार की गई डॉक्टर्स, नर्स और स्टाफ को वैक्सीनेशन की ट्रेनिंग देनी है. इसी तरह की सभी 500 टीमो को बीएमसी के अलग अलग वार्ड में ट्रेनिंग दी जा रही है. एक तरह जहां कुछ लोगों को लैपटॉप पर कैसे लोगों का डेटा एंट्री करना है, इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है, तो वहीं दूसरी ओर लोगों को वैक्सीन कब, कैसे और किस तरह देनी है, इसकी जानकारी साझा की जा रही है. यह कार्य बीएमसी की हेल्थ ऑफिसर शीला जगताप और WHO के परेश कंथारिया के नेतृत्व में किया जा रहा है.


मास्टर ट्रेनर शीला बताती हैं कि जब वैक्सीन आ जाएगी तो उसे कैसे और कहां रखा जाएगा इसका पूरा ब्लू प्रिंट बीएमसी तैयार कर चुकी है. वैक्सीन को कहां स्टोर किया जाएगा, इसके लिए भी बीएमसी ने 4 प्रमुख स्पॉट कंजूरमार्ग, KEM, सायन और कूपर अस्पताल को चिन्हित किया है. इसके अलावा 4 अन्य और जगह भी निर्धारित किये गए हैं. वैक्सीन को इन सभी केंद्रों से इस वैक्सीन बॉक्स में रखकर लाया जाएगा. इसके लिए भी एक विशेष टीम बनाई गई है.


एक बार वैक्सीन आ जाएगी तो उसे वैक्सीन बॉक्स में आइस के बीच में रखेंगे, क्योंकि वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए बॉक्स में उचित तापमान यानी 2 से 8 डिग्री सेल्सियस या माइनस डिग्री तापमान बनाए रखना ज़रूरी है. यह डिग्री वैक्सीन पर निर्भर करती है. एक बार वैक्सीन स्टोरेज सेंटर से वैक्सीन सेंटर में आ जाती है, तो उसके बाद लोगों को वैक्सीन कैसे देनी है, उसकी शुरुआत की जा सकेगी.


वैक्सीन के सेंटर तक आने के बाद उसे लाभार्ती को कैसे दिया जाएगा, यह हम आपको बताते हैं. हेल्थ ऑफिसर शीला जगताप बताती हैं कि वैक्सीन की जो वाइल्स हैं, उसे वैक्सीन बॉक्स से निकाला जाएगा. उसके बाद उसे सिरिंज में उचित मात्रा में भरा जाएगा और जरूरत मंद को दिया जाएगा. वैक्सीनेशन की यह प्रक्रिया बड़ी जटिल है. इस बीच हमें खूब सावधानी बरतनी है. एक बार वैक्सीन लग जाएगी तो हमें वैक्सीन को अच्छे से डिस्पोज़ भी करना होगा.


शीला जगताप ने कहा कि वैक्सीन लगने के बाद उस व्यक्ति को 30 मिनट के लिए ऑब्ज़र्वेशन में रखा जाएगा. वैक्सीन लगने के बाद अगर किसी को कोई साइड इफ़ेक्ट होता है तो उसके लिए हमने अलग टीम तैयार कर रखी है. उन्होंने बताया कि वैक्सीनशन के लिए हमने अब तक 1 लाख 25 हज़ार हैल्थ वर्कर्स की लिस्ट तैयार कर ली है. अभी इस सूची में और भी लोगों के नाम जुड़ना बाकी हैं. उनका कहना है कि बीएमसी ने इतनी तैयारी कर ली है कि मुम्बई की जनता को वैक्सीन आराम से लगाई जा सके.


शीला जगताप का कहना है कि बीएमसी की 500 टीमों को मास्टर ट्रेनिंग दी जा रही है. ये पहले से ही पोलियो वैक्सीनेशन को लेकर प्रशिक्षित हैं. इनके लिए वैक्सीन देने की प्रक्रिया नई नहीं है, लेकिन इनकी लिए चुनौती यह वैक्सीन है. अब इसपर उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है और काम तेजी से किया जा रहा है.


इस पूरी ट्रेनिंग की प्रक्रिया में WHO के 4 मेडिकल ऑफिसर्स भी लगाए गए हैं, जिनको ट्रेनिंग को और तेजी से आगे ले जाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. WHO के मेडिकल ऑफिसर परेश कंथारिया का कहना है कि दिसंबर महीने के आखिर तक तक ट्रेनिंग पूरी जो जाएगी और हमारी टीमें वैक्सीन देने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएंगी.


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