Coronavirus: हैदराबाद के एक अस्पताल में संक्रमित व्यक्ति से वायरस के हवा में प्रसार का पता लगाने की कवायद की जा रही है. अध्ययन को सीएसआईआर के सेल्युलर और आणविक जीवविज्ञान केन्द्र (CCMB) ने शुरू किया है. इसका मुख्य मकसद स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
क्या कोरोना वायरस हवा के जरिए फैल सकता है?
CCMB के निदेशक राकेश मिश्रा ने बताया कि करीब 10 दिन पहले शुरू हुए अध्ययन का उद्देश्य यह जानना है कि क्या वायरस वास्तव में हवा के जरिए फैल सकता है. और अगर ऐसा होता है तो वायरस फैलकर कितनी दूर तक जा सकता है और वातावरण में उसकी मौजूदगी का समय कितना हो सकता है.
अध्ययन के जरिए संक्रमित मरीज से स्वास्थ्य कर्मियों को वाजिब दूरी तक रखने में मदद मिलेगी. गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को करीब दो महीने पहले 200 से अधिक वैज्ञानिकों ने पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने हवा के जरिए कोरोना वायरस फैलने का सबूत पेश करने का दावा किया था. फिलहाल ये अध्ययन अब उसी दिशा में किया जा रहा है.
मिश्रा ने बताया कि अध्ययन के नतीजे पर CCMB बैंक या मॉल जैसे बंद हॉल या सार्वजनिक स्थानों के नमूने ले सकता है ताकि वहां प्रसार की आशंका का आकलन किया जा सके. उन्होंने कहा, ‘‘हम यह देखेंगे कि संक्रमण के स्रोत (मरीज) से कितनी दूरी तक और कितने समय तक वायरस हवा में रह सकता है.’’ अध्ययन के तहत, गहन देखभाल इकाई (ICU) या कोविड-19 वार्ड जैसे अस्पताल के विभिन्न स्थानों से मरीज के दो, चार और आठ मीटर जैसी अलग-अलग दूरी से ‘एयर सैम्पलर’ के इस्तेमाल से नमूने एकत्र किए जाएंगे.
हैदराबाद के एक अस्पताल में अध्ययन शुरू
मिश्रा ने कहा कि इसका लक्ष्य यह पता लगाना है कि वायरस कितनी दूर तक जा सकता है और कितनी देर तक हवा में रह सकता है. उन्होंने कहा कि इसके जरिए कोविड संक्रमित मरीज से दूरी का फैसला करने में आसानी होगी. हमारा अध्ययन स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की सुरक्षा को बेहतर बनाने की एक रणनीति है. वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के तहत CCMB, आधुनिक जीव विज्ञान के प्रमुख क्षेत्रों का एक अनुसंधान संगठन है.
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