नई दिल्ली: देश में कोरोना के खिलाफ जंग के सबसे बड़े हथियार वैक्सीन का बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. यानी देश में रोजाना लाखों लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है. देशभर में अब तक करीब 21.58 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है. देश में इस वक्त ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और रूस की स्पुतनिक वी को मंजूरी मिली है.


इन सभी वैक्सीन की दो दो डोज़ लगाई जा रही हैं. केंद्र सरकार ने कोरोना की इन वैक्सीन दो डोज़ के बीच अलग अलग अंतर बताया है. जैसे कोविशील्ड की दो डोज़ के बीच 12-16 हफ्ते का गैप, कोवैक्सीन की दो डोज़ के बीच 4-6 हफ्ते का गैप और स्पुतनिक वी की दो डोज़ में 21 से 90 दिन का अंतर बताया है.


वैक्सीन की इन सब खबरों के बीच बड़ा सवाल है कि वैक्सीन से आखिर आपको कितने दिनों तक कोरोना से लड़ने की ताकत मिलती है. यानी आप तय समय पर वैक्सीन के दोनों डोज़ लेने के बाद कितने दिनों तक कोरोना से सुरक्षित रहेंगे.


वैक्सीन की लेने के बाद इम्युनिटी आने में कितना वक्त लगता है?


विश्व स्वास्थ्य संगठन की डॉक्टर कैथरीन ओब्रायन के मुताबिक पहली डोज़ लेने के दो हफ्ते बाद से शरीर में इम्युनिटी बननी शुरू होती है. लेकिन दूसरी डोज़ लेने के बाद इम्युनिटी और भी मजबूत होती जाती है.


वैक्सीन से बनी इम्युनिटी कब तक रहती है?


वैज्ञानिकों के मुताबिक अभी तक यह बात स्पष्ट नहीं है कि वैक्सीन के दोनों डोज़ लेने के बाद बनी इम्युनिटी कब तक रहती है. डॉक्टर कैथरीन के मुतबिक हमें अभी तक नहीं पता है कि वैक्सीन से बनी इम्युनिटी कब तक रहती है, इसके बारे में पूरी जानकारी मिलने में थोड़ा समय लगेगा. उन्होंने कहा, ''हम टीकाकरण करवा चुके लोगों पर नजर रख रहे हैं. हम देख रहे हैं कि इन लोगों में समय के साथ इम्युनिटी रहती है और इससे वे बीमारी से बचे रहते हैं. इसलिए हमें वाकई कुछ समय तक इंतजार करना होगा, जिससे हमें पता चलेगा कि वैक्सीन कब तक प्रभावी रहती है."


जहां तक अभी तक मिली जानकारी की बात है कि फाइजर वैक्सीन की दो डोज़ के बाद वैक्सीन का प्रभाव छह महीने या इससे ज्यादा दिनों तक रहता है. इसी तरह मॉडर्ना वैक्सीन की भी दूसरी डोज़ के बाद एंटी बॉडी छह महीने तक रहती हैं. भारत में जो कोविशील्ड वैक्सीन लग रही है. इससे इम्यून सिस्टम एक साल या इससे ज्यादा दिनों तक रह सकता है. उन्होंने कहा, ''हम कह सकते हैं कि ऑक्सफोर्ड की ChAdOx1 तकनीक जिस भी वैक्सीन में इस्तेमाल की जा रही है, उससे बनी एंटी बॉडी एक साल या इससे ऊपर तक रह सकती है.''


क्या नया वैरिएंट वैक्सीन से बनी इम्युनिटी को कमजोर कर देता है?


भारत समेत दुनियाभर में कोरोना के नए वैरिएंट सामने आ रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक वैक्सीन B.1.617.1 और B.1.617.2 दोनों वैरिएंट के खिलाफ कारगर हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो वैक्सीन की दो डोज़ के बाद एक बूस्टर डोज़ की भी जरूरत पड़ेगी.


कोवैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक ने बूस्टर डोज़ के ट्रायल शुरू भी कर दिए हैं. बूस्टर डोज़ ट्रायल में हिस्सा लेने वालों को दूसरी डोज़ लेने के छह महीने बाद दिए गए हैं. इन सभी को वैक्सीन की दूसरी डोज़ पिछले साल सितंबर और अक्टूबर में दी गयी थी.


वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक दो स्टडी में पाया गया है कि वैक्सीन के बाद एक साल तक इम्युनिटी रहती है. इसके एक साल तक रहने की भी संभावना जताई गई है. इसका मतलब है कि कोरोना से ठीक होने वाले और वैक्सीन के दोनों डोज़ लेने वालों को वैक्सीन के बूस्टर डोज़ की जरूरत नहीं पड़ेगी.


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